लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार प्रारम्भ से ही किसान और नौजवान विरोधी रही है। संविधान ने जनता को जो मौलिक अधिकार दिए हैं उनकी अवहेलना भी उसके स्वभाव में है। इससे भाजपा राज में कानून व्यवस्था सुधरने के बजाय हालात और खराब हुए हैं। मुख्यमंत्री जी अपनी नाकामियों से हताशा में अब विपक्ष के प्रति असहिष्णुता और द्वेषपूर्ण आचरण दिखाने लगे हैं। जबकि लोकतंत्र में उन्हें लोकलाज का ध्यान रखते हुए विपक्ष के प्रति भी सम्मान प्रदर्शित करना चाहिए।
अखिलेश यादव ने कहा, भाजपा सरकार सन 2014 से ही किसानों की उपेक्षा करती आई है। भूमिअधिग्रहण के प्रयास के बाद अब भाजपा कृषि अध्यादेशों के जरिए किसानों को बड़े व्यापारियों का मोहताज बनाना चाहती है। भाजपा किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य तो दिला नहीं पाई, उसने आवश्यक वस्तु अधिनियम से ही कई फसलों को बाहर कर दिया। गन्ना किसानों का अभी तक 13 हजार करोड़ रूपये का भुगतान नहीं हुआ। किसान की उपज को नए कानून के सहारे बड़ी कम्पनियां और बड़े व्यापारी मनमाने ढंग से खरीदेंगे। भाजपा इन अध्यादेशों को किसानों की आजादी के जुमले का नाम देकर वास्तव में किसानों को गुलाम बनाना चाहती है।
कोरोना संकट और लाॅकडाउन ने कारोबार बंद किए तो नौजवान बेरोजगारी के शिकार बन गए हैं। भाजपा सरकार कथित पूंजीनिवेश के आंकड़ों के साथ रोजगार के सपने दिखाती है पर सच यह है कि प्रदेश में भाजपा सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी नए उद्योग नहीं लगे हैं। न बाहर से पूंजी निवेश हुआ है, न रोजगार सृजित हुआ है। नौकरियों में भर्तियां लटकी हुई हैं। देश में 1.03 करोड़ लोग नौकरी की तलाश में हैं। श्रम मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि यूपी में 14.62 की संख्या नौकरी मांगने वालों की है।
अब तो सरकार ऐसी व्यवस्था कर रही है कि सरकारी नौकरी में भर्ती का रास्ता आउटसोर्स से संविदा कर्मी के रूप में खुलेगा जिसमें तमाम बंदिशें रहेंगी। पांच साल कम वेतन, पदनाम में बदलाव, दक्षता के 60 प्रतिशत अंक के लिए बंधुआ मजदूर बनकर रहना होगा। पांच वर्ष का बहुमत लेकर आई भाजपा साढ़े तीन साल में ही यूपी से रोजगार का खात्मा करने पर आमादा है। मुख्यमंत्री जी किस बात का बदला ले रहे हैं?
सरकार निजीकरण से युवाओं के भविष्य को और अंधकारमय बनाएगी। वैसे भी रोजगार की दशा पिछले 15 वर्षों में सबसे खराब है। रेलवे, बीमा और बैंकों का निजीकरण होना है। एयरपोर्ट निजी हाथों में रहेंगे। निकायों में चतुर्थ श्रेणी में भर्ती आश्रित कोटे से ही होगी। संयुक्त राष्ट्र संघ के अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना काल में 40 करोड़ रोजगार भारत में खत्म हो सकते है। खुद हर मोर्चे पर विफलता से खीझकर भाजपा सरकार दमनकारी कार्यवाहियों पर उतर आई है। मानवीय संवेदनाओं को भाजपा नेतृत्व द्वारा तिरस्कृत किया जाना एक अवांछित घटना है। इससे भाजपा का चाल, चरित्र, चेहरा सबके सामने उजागर हो गया है। जनता इसका जवाब भाजपा सरकार से अवश्य लेगी।