Breaking News

‘भूमि अधिग्रहण के कारण रेलवे परियोजनाओं में हो रही देरी’, रेल मंत्रालय ने दी जानकरी

कोलकाता:  रेल मंत्रालय ने बताया कि भूमि अधिग्रहण में चुनौतियों के कारण पश्चिम बंगाल में कई रेलवे बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में देरी हुई है। उन्होंने कहा कि फंडिंग में पर्याप्त वृद्धि के बावजूद परियोजनाओं की गति धीमी रही। 2009 से 2014 के दौरान 4,380 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जो 2024-25 में बढ़कर 13,941 करोड़ हो गए। एक अप्रैल तक बंगाल में 43 रेलवे परियोजनाएं हैं, जिसमें पूर्वी, दक्षिण पूर्वी और पूर्वोत्तर में नई लाइनें और आधुनिकीकरण के प्रयास शामिल हैं।

मंत्रालय ने बताया कि भूमि अधिग्रहण एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है। परियोजनाओं को पूरा करने के लिए 3,040 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता है, लेकिन केवल 640 हेक्टेयर जमीन ही दिया गया है। परियोजनाओं को पूरा करने के लिए अभी भी 2,400 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता है। रेलवे अपनी परियोजनाओं के लिए राज्य सरकारों के माध्यम से भूमि अधिग्रहण करता है।

रेलवे ने बताया कि भूमि अधिग्रहण चुनौती के कारण देरी का सामना करने वाले कुछ प्रमुख परियोजनाओं के नाम- नबद्वीपधाम नई लाइन (10 किमी); इसके लिए 106.86 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता है, लेकिन 0.17 हेक्टेयर अधिग्रहीत किया गया है। चंदनेश्वर-जलेश्वर नई लाइन (41 किमी): 158 हेक्टेयर की आवश्यकता है, लेकिन आज तक इसके लिए कोई जमीन अधिग्रहीत नहीं की गई। नैहाटी-राणाघाट तीसरी लाइन (36 किमी): 87.83 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता है, लेकिन इसके लिए केवल 0.09 हेक्टेयर अधिग्रहीत किया गया। बालुरघाट-हिल्ली नई लाइन (30 किमी): 156.38 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता है, लेकिन 67.38 हेक्टेयर अधिग्रहीत किया गया। सैंथिया (5 किमी) और सीतारामपुर (7 किमी) में बाईपास: 22.28 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता है, लेकिन इसके लिए 2.22 हेक्टेयर का ही अधिग्रहण किया जा सका है।

About News Desk (P)

Check Also

‘संसद के अंदर प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ होगी कार्रवाई’, ओम बिरला ने दी चेतावनी

नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच धक्का-मुक्की ...