राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. मसूद अहमद ने कहा कि केन्द्र और प्रदेश की भाजपा सरकारें महिलाओं के सम्मान की हिमायती बनने की नाकाम कोशिश करती हैं परन्तु भाजपा के कथित सिपहसालार शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी महिलाओं के लिए कितने निम्न कोटि के विचार रखते हैं यह उनके वक्तव्य से स्पष्ट होता है। वसीम रिजवी ने सी.ए.ए और एनआरसी के विरूद्व धरना प्रदर्शन कर रही महिलाओं के किरदार को अपशब्दो से सम्बोधित किया है और कहा है कि यह सभी महिलाएं पैसा लेकर धरना प्रदर्शन नहीं बल्कि पिकनिक मनाने जाती हैं। जिसकी जितनी निन्दा की जाय कम है।
डाॅ अहमद ने कहा कि भाजपा भी वसीम रिजवी की पीठ पर हाथ रखे हुये है यही कारण है कि उनके द्वारा हजारों महिलाओं के प्रति अपशब्दों का प्रयोग किया जा रहा है। स्पष्ट रूप से यह भाजपा की कथनी और करनी में अन्तर है। यदि देश और प्रदेश की महिलाएं अपने बच्चों के साथ सर्द रातों में भी अपने हक और हुकूक के लिए धरना प्रदर्शन कर रही हैं तो यह सम्मानजनक है।
रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सी.ए.ए और एन.आर.सी के परिणाम वर्तमान में ही देश में विद्यटन पैदा करने की प्रक्रिया के रूप में सामने हैं और वास्तविकता यह है कि भारत में नागरिकता देने सम्बन्धी प्राविधान बहुत पहले से ही चले आ रहे हैं इस अधिनियम को लाने की कोई आवश्यकता नहीं थी इसे केवल भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की धार्मिक आधार पर देश को बांटने का कुचक्र रचने की साजिश के रूप में देखा जा सकता है।