उत्तर प्रदेश के परिवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश में बस स्टेशनों के विकास में एक नया अध्याय जोड़ा गया है। उन्होंने बताया कि राज्य ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के जरिए यात्री सुविधाओं को बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।
हाल ही में आयोजित टेंडर प्रक्रिया में, देश के विभिन्न हिस्सों से आए विकासकर्ताओं ने 18 में से 15 प्रमुख बस स्टेशनों के लिए अपनी निविदाएं प्रस्तुत कीं है।
परिवहन मंत्री ने बताया कि अयोध्या धाम, वाराणसी कैंट, जीरो रोड प्रयागराज,कानपुर सेंट्रल (झकरकट्टी), गोरखपुर, आगरा इदगाह, गढ़मुक्तेश्वर, सोहराबगेट, लखनऊ चारबाग, साहिबाबाद, अमौसी, मथुरा, रायबरेली, मिर्जापुर, अलीगढ़ (रसूलाबाद) के लिए निविदाएं प्राप्त हुई है।
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उन्होंने बताया कि इन बोलियों के तकनीकी मूल्यांकन के बाद, लगभग 10 दिनों के समय में वित्तीय बोलियां खोली जाएंगी। यह परियोजना उत्तर प्रदेश को पीपीपी मॉडल के तहत बस स्टेशनों के विकास में भारत का अग्रणी राज्य बनाती है।
इन स्टेशनों का उन्नयन न केवल यात्रा के अनुभव को समृद्ध करेगा, बल्कि यह यात्री सुविधाओं के मानकों को भी विश्वस्तर पर ले जाएगा। यूपीएसआरटीसी का लक्ष्य सार्वजनिक परिवहन को एक नई उंचाई पर ले जाना है, जहां प्राथमिकता कार्यक्षमता, आराम और पर्यावरणीय संरक्षण की हो।
यूपीएसआरटीसी के जनरल मैनेजर-पीपीपी यजुवेन्द्र कुमार ने बताया कि परिवहन मंत्री दया शंकर सिंह की दूरदर्शी सोच और निरंतर प्रयासों की बदौलत यह संभव हुआ है। उन्होंने बताया कि उनके मार्गदर्शन में परिवहन निगम लगातार बेहतर कार्य कर रहा है। बसों में पैनिक बटन लगाया जाना एवं वी एल टी डी लगाया जाना इत्यादि कार्य भी किए गए है।