– मधुर संबंधों के लिए अतिथियों का जगह या कक्ष उत्तर या पश्चिम की ओर बनाना चाहिए.
– आरोग्य के दिशा क्षेत्र उत्तर-उत्तर-पूर्व दिशा में दवाइयां रखने से ये जल्दी प्रभाव दिखाती हैं.
– सब कुछ अच्छा होने के बाद भी आपको लगता है की हमारे हाथ में धन नहीं रुकता तो आपको अपने घर के दक्षिण-पूर्व दिशा क्षेत्र से नीला रंग हटाने की जरुरत है. इस दिशा में हल्का नारंगी, गुलाबी रंगों का इस्तेमाल करें.
– घर के अंदर लगे हुए मकड़ी के जाले,धूल-गंदगी को समय-समय पर हटाने से घर में निगेटिव ऊर्जा नहीं रहती.
– पार्किंग हेतु उत्तर-पश्चिम जगह इस्तेमाल में लाना शुभ माना गया है.
– घर में बनी हुई क्यारियों या गमलों में लगे हुए पौधों को नियमित रूप से पानी देना चाहिए. यदि कोई पौधा सूख जाए तो उसे तुरंत वहां से हटा दें.
– दक्षिण-पश्चिम दिशा में ओवरहैड वाटर टैंक की व्यवस्था करना लाभप्रद रहता है.
– दरवाजे को खोलते तथा बंद करते समय सावधानी से बंद करें,ताकि कर्कश ध्वनि न निकले.
– यदि आपने घर में पूजा घर बना रखा है तो शुभ फलों की प्राप्ति के लिए उसमें नियमित रूप से पूजा होनी चाहिए एवं दक्षिण-पश्चिम की दिशा में निर्मित कमरे का प्रयोगपूजा-अर्चना के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
– गैस का चूल्हा किचन प्लेटफार्म के आग्नेय कोण में दोनों तरफ से कुछ इंच स्थान छोड़कर रखना वास्तु सम्मत माना गया है.
– शयन कक्ष में ड्रेसिंग टेबल हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा में रखनी चाहिए,सोते समय शीशे को ढक दें.
– किसी भी आदमी को किसी भी हालात में दक्षिण दिशा की तरफ पैर करके नहीं सोना चाहिए,ऐसा करने से बेचैनी, घबराहट व नींद में कमी हो सकती है.
– शयन कक्ष में मुख्य द्वार की ओर पैर करके नहीं सोएं.पूर्व दिशा में सिर एवं पश्चिम दिशा में पैर करके सोने से आध्यात्मिक भावनाओं में वृद्धि होती है.
– घर या कमरों में कैक्टस के पौधे या कंटीली झाड़ियाँ या काँटों के गुलदस्ते जो की गमलों में साज-सज्जा के लिए सजाते हैं उनसे पूरी तरह बचना चाहिए.
– भवन में उत्तर दिशा, ईशान दिशा, पूर्व दिशा, वायव्य दिशा में हल्का सामान रखना शुभ फलदाई होता है.
– घर में अग्नि से सम्बंधित उपकरण जहाँ तक संभव हो दक्षिण-पूर्व दिशा में रखने चाहिए.
– घर में लगे हुए विद्युत उपकरणों का रख-रखाव उचित तरीका से होना चाहिए,उनमें से किसी भी प्रकार की आवाज़ या ध्वनि नहीं निकलनी चाहिए.