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पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्म की खुशी में मनाई जाती है ‘ईद मिलाद उन नबी’

 पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्म की खुशी में मनाई जाने वाली ईद मिलाद उन नबी 10 नवंबर को है. इस्लाम के अंतिम प्रवर्तक हज़रत मोहम्मद साहब का व्यक्तित्व सत्य  सद्भावना से पूर्ण था उनके कर्म भी आपसी भाईचारे  अमन चैन का पैगाम देते हैं. पैगंबर मोहम्मद हजरत साहब धार्मिक सहिष्णुता के पक्षधर थे, लिहाजा किसी भी किस्म के फ़साद जो सामाजिक सौहार्द के ताने-बाने को बिगाड़ता हो, उसे पसंद नहीं करते थे. मोहम्मद साहब अमन  सुकून के हिमायती थे  मानते थे कि समाज की ख़ुशहाली की इमारत बंधुत्व की बुनियाद पर ही निर्मित हो सकती है.

  • कुरआन के तीसवें पारे (अध्याय ) की सूरे काफेरून की आयत में भगवान ने बोला है कि लकुम दीनोकुम वलेयदन यानी तुम्हें तुम्हारा मजहब मुबारक  मुझे मेरा मजहब मुबारक. हम अपने-अपने मजहबी अकीदे पर रहें. यानी अपने-अपने धर्म में श्रद्धा बनाए रखें. कुरआन की उक्त आयत को हजरत मोहम्मद ने अपने आचरण  व्यवहार में लाकर धार्मिक सहिष्णुता का प्रत्यक्ष प्रमाण प्रस्तुत किया .
  1. हजरत मोहम्मद ने बोला है कि भगवान की लानत नाज़िल होती है उन 9 प्रकार के समूहों पर जो शराब से सम्बंधित हैं. जो शराब बनाए. जिसके लिए शराब बनाई जाए. जो उसे पिए. जिस तक पहुंचाई जाए. जो उसे परोसे. जो उसे बेचे. जो इससे अर्जित धन खर्चे. वह जो इसे खरीदे  जो किसी दूसरे के लिए खरीदे.
  2. यदि तुम भगवान से प्रेम करते हो तो उसकी सृष्टि से प्रेम करो.
  3. अल्लाह उससे मोहब्बत करता है जो उसके बन्दों के साथ भलाई करता है.
  4. जो प्राणियों पर रहम करता है, भगवान उस पर रहम करता है.
  5. रहम दिली ईमान की निशानी है. जिसमें रहम नहीं उसमें ईमान नहीं.
  6. किसी का ईमान पूरा नहीं होने कि सम्भावना जब तक कि वह साथी को अपने बराबर न समझे.
  7. अधर्म को सहन किया जा सकता है, मगर ज़ुल्म  अन्याय को नहीं.
  8. जिस मुसलमान का पड़ोसी उसकी बुराई से सुरक्षित न हो वह ईमान नहीं लाया .
  9. जो आदमी किसी आदमी की एक बालिश्त धरती भी लेगा वह क़यामत के दिन सात तह तक ज़मीन में धंसा दिया जाएगा.

 

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