लखनऊ/रामपुर। एक झूठे मामले में जेल भेजने के आरोप में इंस्पेक्टर और दारोगा समेत पांच पुलिसकर्मियों समेत सात के खिलाफ रामपुर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। इन सभी आरोपियों पर आर्म्स एक्ट में एक व्यक्ति को झूठे मुकदमे में फंसाकर जेल भेजने का आरोप है। मामला 2013 का बताया जा रहा है। मुकदमे में आरोपित इंस्पेक्टर और दारोगा का गैर जिलों में तबादला हो चुका है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक वर्ष 2013 में बिलासपुर कोतवाली में इंस्पेक्टर विमलेश कुमार सिंह और अमित कुमार मान की तैनाती थी। उस समय लखनऊ निवासी संतोष कुमार यादव को पुलिस ने गिरफ्तार किया और उसके खिलाफ आर्म्स एक्ट का मुकदमा दर्ज करके उसे जेल भेज दिया था।इस साजिश में दो इंस्पेक्टर और तीन पुलिसकर्मी भी शामिल बताए जा रहे थे।
जेल की सजा काटकर वापस लौटे युवक ने अपने ऊपर फर्जी मुकदमा लिखे जाने की शिकायत एसपी से लेकर मुख्यमंत्री तक से की। जांच के दौरान सीबीसीआईडी के विवेचक निरीक्षक जगदीश उपाध्याय ने साजिश में शामिल पुलिस कर्मियों समेत सातों को दोषी ठहराया। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि युवक पर तत्कालीन पुलिस कर्मियों ने झूठा मुकदमा दर्ज किया था। उनकी जांच रिपोर्ट आने के बाद उच्च अधिकारियों ने सातों पुलिस कर्मचारियों पर कार्रवाई के आदेश दिए।
अब आठ साल बाद युवक को न्याय मिला और पांच पुलिस कर्मियों समेत सात के खिलाफ कोतवाली में मुकदमा दर्ज कर लिया गया। कार्यवाहक प्रभारी निरीक्षक लखपत सिंह ने बताया कि इंस्पेक्टर विमलेश कुमार सिंह, उप निरीक्षक अमित कुमार मान, कांस्टेबल राजेन्द्र सिंह, इब्राहिम, रोहित समेत पांच पुलिसकर्मियों तथा विजयंत खंड गोमती नगर लखनऊ के ज्ञानेंद्र सिंह उर्फ पप्पू सिंह और रामप्रसाद यादव गांव कठौता गोमती नगर लखनऊ के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया है। संतोष का आरोप है कि ज्ञानेंद्र और राम प्रसाद उसके परिचित हैं। इन दोनों ने पुलिस से मिलीभगत करके उसे धोखे से लखनऊ से यहां लाकर झूठे मुकदमे में फंसा दिया था।