लखनऊ। केनरा बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (CBOA) केनरा बैंक की मेजरिटी ट्रेड यूनियन जिसकी सदस्यता 30000 से अधिक अधिकारियों की है। जोकि अखिल भारतीय बैंक अधिकारियों के परिसंघ से संबद्ध एक संगठन है। यह भारतीय बैंकिंग उद्योग के 3 लाख से अधिक अधिकारियों का एकमात्र संगठन है। CBOA अपने स्थापना (1966) के बाद से लगातार केनरा बैंक के अधिकारियों के समुदाय के कल्याण के लिए काम कर रहा है और उनकी कार्यशील स्थिति में सुधार कर रहा है।
CBOA कार्यकारी समिति की बैठक 17 और 18 अगस्त को होटल विस्टा रेजिडेंसी में
इस अवसर पर CBOA के महासचिव जी. वी. मनिमारन (अखिल भारतीय राष्ट्रीयकृत बैंक अधिकारी महासंघ के महासचिव और ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष) ने कहा कि हाल में हुए कुछ बदलावों को सरकार बैंकिंग क्षेत्र में लागू किया है। उन्होंने अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बड़े पैमाने पर विलय ने ना केवल बीमार बैंकों के संकट को बढ़ाया है, बल्कि आम जनता के लिए संभावित रोजगार के अवसरों का भी नुकसान हुआ है। पीएसबी द्वारा सामना की जा रही मुख्य समस्या एनपीए के हैं,जिनमें से अधिकांश कॉर्पोरेट सेक्टर द्वारा चूक के कारण हैं। सरकार इन एनपीए का दोष बैंक के अधिकारियों पर डाल रही है, बजाय इसके कि कड़े उपायों की शुरुआत करे और डिफॉल्टरों के नामों का खुलासा करे।
उन्होंने कहा कि बैंक हजारों करोड़ के NPA को माफ़ कर रहे हैं जो सीधे तौर पर डिफॉल्टरों को फायदा पहुंचा रहे हैं, लेकिन बैंक कर्मचारियों को सम्मानजनक वेतन वृद्धि से इनकार कर रहे हैं। निजीकरण गरीब लोगों के लिए स्थिति को खराब करने वाला है क्योंकि निजी क्षेत्र केवल मुनाफे के लिए काम करते हैं लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक गरीबो के कल्याण के लिए काम करते हैं।
CBOA के क्षेत्रीय सचिव विवेक श्रीवास्तव ने कहा कि बैंकर्स हमेशा गरीब लोगों के सर्वोत्तम हित और जनता के धन की रक्षा के लिए काम कर रहे हैं। जनता को इसे समझने और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की स्थिति को बनाए रखने के लिए सहयोग करने की आवश्यकता है।
CBOA के उप महासचिव अंशुमान सिंह ने कहा कि सरकार के सभी कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक जनता और सरकार के बीच सेतु हैं और ट्रेड यूनियन इस पुल को अक्षुण बनाए रखने के लिए बहादुरी से लड़ रहे हैं।