शिमला: बागवानी प्रदेश की कृषि अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार है। बागवानी के विकास में हिमाचल प्रदेश ने देश में अपनी पहचान बनाई है। वर्तमान में राज्य में लगभग 234 लाख हेक्टेयर भूमि पर बागवानी की जा रही है। इससे लगभग 5,000 करोड़ रुपये की औसत वार्षिक आय होती है। यह क्षेत्र प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से नौ लाख लोगों को रोजगार देता है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि उद्यान विभाग ने इस बार बागवानों के लिए सेब की आठ नई किस्मों के पौधे तैयार किए है।
वहीं, नर्सरी मैनेजमेंट सोसायटी ने विभाग की 93 पौधशालाओं में 76 किस्मों के लगभग छह लाख पौधे तैयार किए हैं। इनमें 32 किस्में सेब की हैं। बीते वर्ष विभाग की ओर से चार लाख पौधे तैयार किए गए थे। बागवानों को इस बार ए ग्रेड गुणवत्ता वाले पौधे दिए जाएंगे। ए ग्रेड में चार श्रेणियां होंगी। ऐसा पहली बार है कि उद्यान विभाग ने ग्रेडिंग सिस्टम खत्म कर केवल ए ग्रेड के ही पौधे बेचने का फैसला लिया है। सुक्खू ने कहा कि प्रदेश में लघु एवं सीमांत बागवानों को लाभ पहुंचाने तथा उनकी आय में वृद्धि करने के मद्देनजर पूरे प्रदेश में यूनिवर्सल कार्टन और सेब को प्रति रुपये किलो की दर से खरीदने की व्यवस्था लागू की गई है।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि किन्नौर जिले के टापरी में जियोथर्मल तकनीक से विश्व का पहला नियंत्रित वातावरण भंडारण (सीए स्टोर) बनने जा रहा है। इसके लिए आईसलैंड व हिमाचल सरकार के मध्य समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर किया गया है। आइसलैंड के वैज्ञानिक जियोथर्मल तकनीक का प्रशिक्षण बागवानी विशेषज्ञों को प्रदान करेंगे, जिससे बागवान लाभान्वित हो सकें। सेब के कार्टन बॉक्स पर जीएसटी की दरों को 18 से 12 फीसदी किया जाना प्रदेश सरकार के प्रयासों का ही परिणाम है। सरकार ने बागवानी क्षेत्र के लिए इस वर्ष 531 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया है।
1,292 करोड़ रुपये की परियोजना प्रदेश के सात जिलों में 6 हजार हेक्टेेयर क्षेत्र को कवर करेगी। इस वर्ष 1200 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया जाएगा और वर्ष 2028 तक छह हजार हेक्टेयर भूमि में 60 लाख फलों के पौधे रोपे जाएंगे। परियोजना के तहत प्रथम चरण में चार हजार हेक्टेयर भूमि तथा दूसरे चरण में शेष दो हजार हेक्टेयर भूमि को कवर किया जाएगा। राज्य में उच्च आय प्रदान करने वाले ड्रैगन फ्रूट, एवोकाडो, ब्लू बैरी, मैकाडामिया नट की खेती को बढ़ावा देने के लिए बागवानी विभाग की ओर से नौणी विवि सोलन के सहयोग से नीति कार्यान्वित की जा रही है।