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ग्लोबल साउथ पर चीन की नजर, पांच वर्षों के भीतर शुरू होंगे नए कार्यक्रम; शी जिनपिंग का इन बातों पर जोर

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मौजूदा दौर के विवादों को खत्म करने के लिए पंचशील (शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांत) की महत्ता पर जोर दिया। दरअसल चीन इस समय अपने पड़ोसियों और दुनियाभर में अपने व्यापारिक साझेदारों के साथ विवादों से जूझ रहा है। इसके अलावा चीन, पश्चिम के साथ तनातनी के बीच ग्लोबल साउथ देशों में अपने प्रभाव का विस्तार करने की कोशिश कर रहा है।

ग्लोबल साउथ में प्रभाव मजबूत करने की कोशिश
बीते कुछ वर्षों से देखा जा रहा है कि एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के कुछ देशों (ग्लोबल साउथ) में अपना प्रभाव मजबूत करने के लिए चीन, भारत और अन्य देशों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहा है। शी जिनपिंग का कहना है कि चीन वैश्विक दक्षिण अनुसंधान केंद्र (Global South Research Centre) की स्थापना करेगा। इसके साथ ही एक हजार लोगों को ‘शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांत छात्रवृत्ति’ प्रदान की जाएगी। जिनपिंग ने आगे कहा कि ग्लोबल साउथ देशों में अगले पांच वर्षों में 1 लाख प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि इसके साथ ही ग्लोबल साउथ लीडरशिप प्रोग्राम भी चलाया जाएगा।

बीआरआई परियोजना पर चीन का ध्यान
शी जिनपिंग ने पिछले वर्ष लगातार तीसरी बार चीन की सत्ता संभाली थी। इसके बाद उन्होंने अपनी बहुप्रतीक्षित बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) परियोजना की शुरुआत की। जिनपिंग का मानना है कि बीआरआई से वैश्विक मंच पर चीन का प्रभाव दिखेगा। बीआरआई के अंतर्गत चीन ने छोटे देशों में कई परियोजनाओं की शुरुआत की और बड़ी मात्रा में निवेश किया। हालांकि इसके बाद आरोप लगाए गए हैं कि चीन ‘उधार की कूटनीति’ पर काम कर रहा है क्योंकि कई देश बीजिंग से लिए हुए कर्ज को चुका नहीं पा रहे हैं। इसके अलावा चीन अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ रणनीतिक प्रतिस्पर्धा का भी सामना कर रहा है।

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