• कोल्ड चेन हैण्डलर्स का दो दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न
औरैया। जिले में शुक्रवार को कोल्ड चैन हैंडलर्स का दो दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न हुआ। सीएमओ कार्यालय स्थित प्रशिक्षण केंद्र में यह आयोजन स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में हुआ। प्रशिक्षण में कोल्ड चैन हैंडलर्स को कोल्ड चैन में वैक्सीन के रखरखाव के बारे में प्रशिक्षित किया गया। साथ ही वैक्सीन एवं कोल्ड चेन हैण्डलर्स (इम्यूनाइजेशन ऑफिसर) को वैक्सीन के भंडारण एवं परिवहन से संबन्धित कड़ियों पर प्रशिक्षण दिया गया। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य टीकाकरण के दौरान विभिन्न दवाओं के रख-रखाव के तरीके के बारे में प्रतिरक्षण अधिकारियों का कौशलवर्धन करना था।
अधिकारियों का कौशलवर्धन करना था। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अर्चना श्रीवास्तव ने कहा कि वैक्सीन को व्यवस्थित और सुरक्षित रखने में कोल्ड चैन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और इसका संचालन करने वालों की जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है। वैक्सीन को जिस तापमान की जरूरत है, उस तापमान पर रखा जाए। साथ ही वैक्सीन को जितने समय तक सुरक्षित रखना है, उसे उसी अनुसार मैंटेन करने की जरूरत है। उन्होंने निर्देश दिया कि जो वैक्सीन फील्ड में भेजी जाती है, उसे कंडीशन आइसपैक करके वैक्सीन कैरियर में भेजा जाए।
प्रमुख प्रशिक्षक जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ राकेश सिंह ने बताया कि वैक्सीन का नियमित तापमान दिन में दो बार चेक किया जाना चाहिए। वैक्सीन का जो तापमान है, अगर वह एक बार गड़बड़ हो गया तो उसे बहाल नहीं किया जा सकता है।
लिहाजा टीम की जिम्मेदारी है, इस मामले में लापरवाही न बरती जाए। यदि किसी कोल्ड चैन उपकरण में खराबी आती है तो कोल्ड चैन हैंडलर्स की जिम्मेदारी है कि इसे तत्काल अपने अधिकारियों को अवगत कराए। साथ ही वैक्सीन का भंडारण और रख-रखाव टीकाकरण कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण अंग है। यदि इसपर ध्यान न दिया जाए तो कई महँगी और दुर्लभ दवाइयाँ खराब हो सकती हैं। उन्होंने सभी प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे प्रशिक्षण के दौरान बताई गई बातों का ध्यान से पालन करें जिससे टीकाकरण का पूरा फायदा मिल सके।
सहायक प्रशिक्षक यूएनडीपी के वैक्सीन कोल्डचैन मैनेजर सतेंद्र सिंह ई विन एडवांस पोर्टल के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि वैक्सीन को रखने का जो क्रम है, उसे उसी अनुसार नंबर डालकर क्रम रखा जाए। साथ ही माइक्रोप्लानिंग और वैक्सीन को ले जाने की व्यवस्था के बारे में समझाया। शासन से निर्देशानुसार जो भी प्रोफार्मा आया है, उसे उसी के अनुसार भरा जाए। उन्होंने बताया कि वैक्सीन को निर्धारित 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखा जाए। इसकी बराबर निगरानी की जाए।
यूनिसेफ के डीएमसी नरेंद्र शर्मा ने बताया कि वैक्सीन के बनने से लेकर लाभार्थी तक पहुँचने तक उसे एक लम्बा सफ़र तय करना पड़ता है। ऐसे में तापमान और रौशनी के प्रभाव से कई वैक्सीन अपनी क्षमता खो देती हैं। इसीलिए कोल्ड चेन प्रबंधन के तहत हर जिले में कोल्ड चेन स्टोर बनाए गए हैं। वहीँ सप्लाई चेन के तहत यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि वैक्सीन की पर्याप्त मात्रा, सही समय, सही स्थान, सही तापमान पर ही सही लाभार्थी तक पहुंचे। इस दौरान अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ शिशिर पुरी, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी एवं सीएचसी व पीएचसी के दो दो कोल्ड चैन हैंडलर्स सहित यूनिसेफ के प्रतिनिधि ने प्रशिक्षण में प्रतिभाग किया।
रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर