कांग्रेस नेता और पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम इन दिनों बुरी तरह कंफ्यूज हैं। सरकार की आलोचना करने की होड़ में वे अपनी ही बातों को खारिज करते जा रहे हैं। चिदंबरम यहां तक अपनी ही कही बात को बेहूदी बता गए। उन्होंने कुछ दिनो पहले ही ट्वीट कर सरकार से प्रवासी श्रमिकों को घर जाने की इजाजत देने की बात कही थी।
हालांकि सरकार पहले से ही इस पर गौर कर रही थी। कुछ चरणों में कई राज्यों के प्रवासी मजदूरों को वापिस भेजा भी गया था। फिर भी चिदंबरम ने अपनी ओर से तीन सुझाव दिए। उनके दिए सुझावों में शामिल था- टेस्टिंग बढ़ाई जाए। प्रवासी कामगारों को उनके गृह राज्यों में जाने की अनुमति दी जाए। सरकार म्यूचुअल फंड को निधि प्रदान करें।
गृह मंत्रालय की ओर से लॉकडाउन तीन में श्रमिकों को घर भेजने की योजना का ऐलान कर दिया गया। पहले चिदंबरम ने इसका श्रेय हड़पना चाहा। उन्होंने लिखा कि कांग्रेस खुश है कि उसके कुछ सुझावों को स्वीकार कर लिया गया। मगर इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।
चिदंबरम फिर भड़क गए और अपने ही दिए सुझावों को बेहूदा बता डाला। उन्होंने लिखा- ’29 अप्रैल- प्रवासी श्रमिकों को घर वापस जाने की अनुमति देने की मांग पर कोई प्रतिक्रिया नहीं। 30 अप्रैल- बसों द्वारा उन्हें परिवहन की अनुमति दी जाएगी। 1 मई- नॉन-स्टॉप ट्रेनों को अनुमति दी जाएगी। देर आए दुरुस्त आए। यह बेकार सोच और बेहूदी योजना का एक और उदाहरण है।”
चिदंबरम की झुंझलाहट की एक बड़ी वजह विपक्ष के भीतर कोरोना काल में पीएम मोदी के उठाए गए कदमों की तारीफ है। खुद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी पीएम मोदी की खुलकर तारीफ कर चुके हैं।