लखनऊ। अडानी प्रकरण पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से या सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश से विस्तार से जांच कराने की मांग को लेकर कांग्रेस पार्टी सदन में लगातार संघर्ष कर रही है। लेकिन कांग्रेस का आरोप है कि भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र सरकार चर्चा के लिए तैयार नहीं है। इसको देखते पार्टी नेताओं ने सड़क पर संघर्ष करने का निर्णय लिया है।
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आज इसी क्रम में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के आह्वन पर तथा प्रदेश कांग्रेस के निर्देश पर सुबह 11 बजे मकबरा रोड कैसरबाग नियर बेगम हजरत महल (परिवर्तन चौक) से कांग्रेसजन प्रांतीय अध्यक्ष पूर्व मंत्री नकुल दुबे, प्रदेश कोषाध्यक्ष शिव पाण्डेय, प्रदेश महासचिव दिनेश सिंह, पूर्व विधायक सतीश अजमानी, श्याम किशोर शुक्ला, इन्दल रावत, मीडिया संयोजक अशोक सिंह, जिलाध्यक्ष वेद प्रकाश त्रिपाठी के नेतृत्व में पैदल मार्च निकाला। जिसे एसबीआई मुख्यालय पर मौजूद पुलिस बल ने रोक दिया। परिणामस्वरूप नाराज कांग्रेसजन यही बाबू केडी सिंह स्टेडियम के पास धरने पर बैठ गये। अंत में राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन पुलिस कमिश्नर लखनऊ के माध्यम से सौंपा गया।
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उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता कृष्णकांत पाण्डेय ने जानकारी देते हुए बताया कि आम भारतीय नागरिकों की कीमत पर अपने करीबी दोस्त और चुनिन्दा अरबपतियों को लाभ पहुंचाने की मोदी सरकार की नीतियों से जहां पूरा देश विशेषकर मध्यम वर्ग परेशान और चिन्तित है। केन्द्र सरकार द्वारा अडानी समूह में एलआईसी एवं एसबीआई जैसे सरकारी संस्थानों के बेहद जोखिम भरे लेनदेन और निवेश ने भारत के निवेशकों जिसमें एलआईसी के लगभग 29 करोड़ पॉलिसी धारक और एसबीआई लगभग 45 करोड़ खाताधारकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इस मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी सदन में चर्चा करने के लिए जहां एक तरफ संघर्षरत है वहीं सड़क पर हर स्तर पर आंदोलन करने का निर्णय लिया है, जिसके तहत आज कांग्रेसजन सड़क पर हैं।
श्री पाण्डेय ने आगे कहा कि केन्द्र सरकार सदी के सबसे बड़े घोटाले अडानी घोटाले पर चुप्पी साधे हुए है। कुछ दिनों पहले अडानी मुद्रा पोर्ट पर हजारों करोड़ की ड्रग्स पकड़ी गई सरकार के मुंह नहीं खुले, इनके द्वारा संचालित हवाई अड्डों पर मनमानी शुल्क वसूली होती है, सेब उत्पादकों से अडानी समूह ज्यादती करता है सरकार कुछ नहीं बोलती। जब अडानी समूह के शेयर में लगातार भारी गिरावट हो रही है नियामक संस्थाओं और सरकार की चुप्पी निश्चित रूप से दर्शाती है कि सरकार अडानी के साथ मिली हुई है। जबकि वैश्विक स्तर पर आर्थिक छवि को लेकर कांग्रेस चिन्तित है। पूरे देश में आर्थिक अव्यवस्था को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। लाखों करोड़ रूपये के ऋण का एक बड़ा हिस्सा बिना किसी संपत्ति के आधार पर अडानी समूह को देना क्या सरकार की नीयत पर सवाल नहीं खड़ा करता है?
प्रवक्ता कृष्णकांत पाण्डेय ने आगे बताया कि भारतीय जीवन बीमा निगम, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा बाजार मूल्य खोने वाली कंपनियों में हिन्दुस्तानियों के खून पसीने की कमाई को जोखिम में डालने जैसे ज्वलंत मुद्दे पर सदन में चर्चा सरकार नहीं कराना चाहती, कांग्रेस पार्टी इसके लिए संघर्षरत है। जिन -जिन मुद्दों पर राहुल गांधी ने सरकार एवं देश को आगाह किया चाहे वह नोटबंदी, गलत जीएसटी, कोरोना जैसे मुद्दे रहे हो सब सही साबित हुए।
लगातार राहुल गांधी द्वारा हम दो हमारे दो की सरकार का उल्लेख होता रहा है। आज हमारे दो में एक की पोल खुल गई करोड़ो देशवासियों के भविष्य पर संकट मंडरा रहा है, एक जिम्मेदार विपक्ष होने के नाते देशवासियों की संचित धन की सुरक्षा के लिए सदन से सड़क तक संघर्ष करते रहेंगे। कांग्रेस पार्टी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच या सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट की विस्तार से निष्पक्ष जांच की मांग कर रही है। सरकार को इससे क्या दिक्कत है? जाहिर है कि कहीं न कहीं सरकार अडानी के साथ मिली हुई है इसलिए इस घोटाले की जांच से घबरा रही है।
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आज के प्रदर्शन में प्रदेश महासचिव सुबोध श्रीवास्तव, मनोज यादव, कृष्णकांत पाण्डेय, विकास श्रीवास्तव, रफत फातिमा, मुकेश सिंह चौहान, द्विजेन्द्र राम त्रिपाठी, अमरनाथ अग्रवाल, वीरेन्द्र मदान, प्रमोद सिंह, बृजेश सिंह, शहनवाज मंगल आजमी, रमेश मिश्रा, संपूर्णानंद मिश्रा, बृजेन्द्र सिंह, राजेश सिंह काली, सिद्धी श्री, सैयद हसन अब्बास, डॉ रेहान अहमद खान, रूद्र दमन सिंह बब्लू, मनोज तिवारी, आर एस तिवारी, संजय दीक्षित, नारायण पति त्रिपाठी, शरद शुक्ला, संजय गिरि, नूर अब्बास, सुनीता रावत, परवीन खान, उबैद नासिर, साबरा खातून, सीमा चौधरी, सुशीला शर्मा, सुषमा मिश्रा, मेहताब जायसी, रुबीना रईस, डॉ अजय शुक्ला, तनवीर फातिमा, अजय वर्मा, अयूब सिद्दीकी, मुन्ना लाल वाल्मीकि, डॉ शहजाद आलम, सोमेश सिंह चौहान, हनीफ खान, राजेन्द्र पाण्डेय, नरेन्द्र त्रिपाठी, आरपी त्रिपाठी, केडी शुक्ला, संजय मिश्रा, जितेन्द्र पटेल, आदि प्रमुख रहे।