गोरखपुर। दिग्विजयनाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय गोरखपुर में राजनीति विज्ञान विभाग एवं रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में युग पुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ महाराज एवं राष्ट्र संत ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ महाराज स्मृति व्याख्यान माला में संविधान दिवस के अवसर पर भारतीय संविधान और नागरिक दायित्व विषय पर मुख्य अतिथि प्रो रघुवीर सिंह तोमर, पूर्व विभागाध्यक्ष, राजनीति विज्ञान विभाग, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी ने कहा कि किसी देश की शासन व्यवस्था के लिये संविधान की विशेष भूमिका है।
संविधान सरकार के स्वरूप को निर्धारित करने वाला कानून है। अमेरिकन संविधान में शक्ति पृथक्करण के सिद्धांत के साथ ही शक्ति संतुलन के सिद्धांत को अपनाया गया। जबकि ब्रिटेन में संसद को सर्वाेच्चता प्रदान किया गया है। भारतीय संविधान में मध्यम मार्ग को अपनाते हुए संविधान द्वारा संसद को कानून बनाने का अधिकार देने के साथ ही न्यायपालिका को कानूनों से नागरिकों एवं समाज के प्रति होने वाले प्रभावों के प्रति समीक्षा का भी अधिकार दिया गया हैं। भारतीय संविधान में मानव गरिमा को सुरक्षित करने के लिए मौलिक अधिकारों का समावेश किया गया साथ ही नागरिकों को यह भी अधिकार दिया गया जिससे उनका समावेशी विकास हो सके.
उन्होंने आगे कहा कि आरक्षण के मामले में आर्थिक पिछड़ेपन को आधार बनाकर सरकार द्वारा उन्हें पिछड़े वर्ग में रखा जाना चाहिए। आज के लोकतांत्रिक परिवेश में समाज में अल्पसंख्यक एवं बहुसंख्य का भेद नहीं होना चाहिए बल्कि सबके लिए एक समान कानून की व्यवस्था होनी चाहिए। लोकतंत्र यह है कि देश का हर नागरिक अपने अधिकारों व दायित्वों के प्रति सचेत रहें। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रो अभय कुमार सिंह प्राचार्य साकेत महाविद्यालय फैजाबाद अयोध्या ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज हम 10वां संविधान दिवस मना रहे हैं। 2015 मे वर्तमान प्रधानमंत्री ने 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाने की घोषणा की थी जिसके बाद से प्रत्येक वर्ष संविधान दिवस मनाया जा रहा है।
संविधान दिवस इसलिए मनाए जाने की आवश्यकता हुई क्योंकि हमें अपने अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों का पालन करना भी आवश्यक है, बिना संविधान के देश गणतंत्र नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि संविधान केवल दस्तावेज नहीं है, बल्कि राष्ट्र का पथ प्रदर्शक है। भारतीय संविधान की प्रस्तावना उसके मूल भाव को प्रदर्शित करती है। विद्यार्थियों के लिए ये आवश्यक है कि वे अपने कर्तव्यों को समझें तथा जीवन में सकारात्मक लक्ष्य को प्राप्त कर सकें। नागरिकों का यह भी दायित्व है कि वह राष्ट्र की एकता तथा अखंडता के प्रति समर्पित रहे। संविधान द्वारा प्राप्त शक्तियों के कारण ही आज प्रत्येक नागरिक के अधिकार सुरक्षित है। उन्होंने नकारात्मकता से बचते हुए सकारात्मक सोच को अपनाने की बात कही जिससे भारत तीव्र गति से अपना विकास कर सके। आज भारत के नागरिकों पर विशेष दायित्व यह है कि भ्रष्टाचार से अपने को बचाएं तभी राष्ट्र प्रगति के पथ पर अग्रसर हो सकता है।
इस अवसर पर प्रो विनोद सिंह, विभागाध्यक्ष, रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन विभाग, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने देश के प्रगति का मार्ग प्रशस्त करने के लिए संविधान निर्माण किया। यदि हम अपने कर्तव्य के प्रति सचेत हो जाये तो आम जीवन की बहुत सारी समस्यांए समाप्त हो जायेंगी और इसके लिए नागरिकों को संविधान द्वारा दण्डित करने की आवश्यकता ही नहीं होगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि देश के युग दृष्टाओं ने हमें अधिकार केंद्रित संविधान दिया जिसमें मौलिक अधिकार तो थे पर मूल कर्तव्य नहीं थे। संविधान लागू होने के 26 वर्षों तक बिना कर्तव्य के हमारा संविधान चलता रहा इसलिए हमारी मानसिकता अधिकार मूलक बन गई थी। हम अपने अधिकारों के प्रति सचेत हैं लेकिन मौलिक कर्तव्यों के उल्लंघन से बचने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। भारतीय संविधान बिना किसी जाति धर्म लिंग के भेदभाव के नागरिकों को मताधिकार का अवसर प्रदान करता है। इसलिए हमारा भी यह नागरिक दायित्व है कि सरकार के गठन में हमारा सक्रिय योगदान हो।
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कार्यक्रम का संचालन डॉ शुभ्रांशु शेखर सिंह एवं परिचय तथा स्वागत डॉ प्रियंका सिंह के द्वारा किया गया। इस अवसर पर डॉ राम प्रसाद यादव, इंद्रेश पाण्डेय, डॉ शैलेश कुमार सिंह, डॉ अखिल श्रीवास्तव, डॉ प्रियंका सिंह, डॉ सुनील कुमार सिंह, श्वेता सिंह, विकास पाठक सहित सभी छात्र और छात्राएं उपस्थित रहे।
रिपोर्ट-जय प्रकाश सिंह