तिरुवनंतपुरम। केरल में रिवॉल्यूशनरी मार्क्सवादी पार्टी (आरएमपी) नेता टीपी चंद्रशेखरन की हत्या मामले में दोषी कोडी सुनी को 30 दिन की पैरोल देने पर सत्तारूढ़ माकपा ने जवाब दिया है। पार्टी ने कहा कि पैरोल कैदियों का अधिकार है और इसे अस्वीकार करने की कोई जरूरत नहीं है। किसी कैदी को पैरोल देना सरकार और जेल अधिकारियों का मामला है। पार्टी का इससे कोई लेना-देना नहीं है।
दरअसल आरएमपी नेता की हत्या के मामले में तवनूर जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कोडी सुनी को हाल ही में राज्य मानवाधिकार आयोग की सिफारिश के आधार पर जेल डीजीपी ने 30 दिन की पैरोल दी थी। सुनी को 28 दिसंबर को पैरोल पर रिहा किया गया था।
इस पर विपक्षी कांग्रेस-यूडीएफ ने आरोप लगाया था कि माकपा सरकार का निर्णय न्याय व्यवस्था और कानून के शासन के लिए खुली चुनौती है। जबकि दोषी कोडी सुनी की मां की शिकायत पर मानवाधिकार आयोग ने आदेश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि पुलिस रिपोर्ट के आधार पर कैदियों को पैरोल देने का विशेषाधिकार सरकार को सौंपा गया है।
इसे लेकर सीपीआई (एम) के राज्य सचिव एमवी गोविंदन ने कहा कि माकपा किसी को पैरोल देने या न देने पर कोई रुख नहीं अपनाती है। इसका पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है। ये मामले सरकार और जेलों से जुड़े हैं और इनसे उसी के अनुसार निपटा जाएगा।
पैरोल देने के मामले में पुलिस रिपोर्ट की अनदेखी करने पर गोविंदन ने कहा कि इस मामले की सरकार को जांच करनी चाहिए और माकपा को इसमें कोई समस्या नहीं है। पैरोल कैदियों का अधिकार है। इसे किसी भी तरह से अस्वीकार करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
क्या है मामला
हत्या का मामला चार मई 2012 का है, जब चंद्रशेखरन (52) बाइक से अपने घर जा रहे थे। इस वक्त आरोपियों ने उनपर हमला कर जिया और उनकी हत्या कर दी। केरल की तत्कालीन संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार ने हत्या की जांच के लिए एक विशेष जांच दल गठित की थी। 2014 में कोझिकोड अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने 11 आरोपियों को आजीवन कारावास और अन्य आरोपियों को अलग-अलग जेल की सजा सुनाई थी।
दोषियों में सीपीएम नेता केसी रामचंद्रन और दिवंगत कुन्हानंदन भी शामिल हैं। बता दें, चंद्रशेखरन रिवॉल्यूशनरी मार्क्सवादी पार्टी (आरएमपी) नेता थे। अदालत ने चंद्रशेखरन की हत्या के लिए अनूप, मनोज उर्फ किरमानी मनोज, एनके सुनील उर्फ कोडी सुनी, टीके राजीव, केके मुहम्मद शफी, एस सिजित, के शिनोज, केसी रामंचंद्रन, मनोज और कुन्हानंदन को दोषी ठहराया था। साथ ही आजीवन कारावास की सजा सुनाई।