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कार्डियक अरेस्ट आने पर सीपीआर विधि बचाएगी मरीज की जान

• आशा-आंगनबाड़ी सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को मिला प्रशिक्षण

• जनपद के चार ब्लॉक में संचालित की जा रही मेडिकल मोबाइल यूनिट

वाराणसी। कार्डियक अरेस्ट आने पर किसी व्यक्ति की जान स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर ही बचाई जा सके है, इसके लिए विभाग पूरी तैयारियों में जुटा हुआ है। इसी क्रम में स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में द हंस फाउंडेशन के सहयोग से संचालित कार्डियोपल्मनरी रिससीटेशन (सीपीआर) विधि के दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत सोमवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के धनवंतरी सभागार में हुई। इसके साथ ही सीपीआर से जुड़ी चार मेडिकल मोबाइल यूनिट के संचालन के बारे में भी चर्चा हुई।

सीपीआर विधि

प्रशिक्षण का शुभारंभ मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने किया जिसमें शिक्षक, आंगनवाड़ी, आशा, एएनएम एवं आंगनवाडी सुपरवाइजर ने प्रतिभाग किया।

सीएमओ ने बताया कि जनपद में हार्ट अटैक से होने वाली गंभीर समस्याओं को रोकने के लिए सभी जिला चिकित्सालयों आर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर ईसीजी और थ्रंबोलिसिस की सेवाएँ पहले से दी जा रही हैं।

सीपीआर विधि

इसी कड़ी में सीपीआर का प्रशिक्षण सभी स्वास्थ्य कर्मियों को दिया जा रहा है जिससे स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर ही कार्डिक अरेस्ट आने वाले व्यक्ति की जान बचाई जा सके। सीएमओ ने बताया कि सीपीआर से जुड़ीं सेवाओं के लिए जनपद के चार ब्लॉक काशी विद्यापीठ, अराजीलाइन, चिरईगांव और बड़ागांव पीएचसी पर एक-एक मेडिकल मोबाइल यूनिट चलाई जा रही है जिसका संचालन द हंस फ़ाउंडेशन की ओर से किया जा रहा है। जल्द ही अन्य ब्लॉकों में भी इसका संचालन शुरू किया जाएगा।

सीपीआर विधि

सीपीआर का सम्पूर्ण प्रशिक्षण राजकीय चिकित्सक व हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ शिव शक्ति प्रसाद द्विवेदी एवं द हंस फ़ाउंडेशन के मेडिकल ऑफिसर डॉ ऋषभ ने दिया। इसमें सभी स्वास्थ्यकर्मियों को बहुत बारीकी से समझाया गया कि सीपीआर कौशल के माध्यम से समय से कार्डियक अरेस्ट पीड़ित व्यक्ति की जान बचाई जा सकती हैं।

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डॉ शिव शक्ति ने बताया कि बिजली का झटका लगने पर, पानी में डूबने पर या दम घुटने पर जब किसी व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत हो या फिर वह सांस न ले पा रहा हो और बेहोश हो जाए तो सीपीआर की मदद से उसकी जान बचाई जा जा सकती है।

सीपीआर विधि

सीपीआर देने के दौरान दोनों हाथों की मदद से एक मिनट में 100 से 120 बार छाती के बीच में ज़ोर से और तेजी से दबाव डालना होता है। एक एक दबाव के बाद छाती को वापस अपनी सामान्य स्थिति में आने देना चाहिए। इसके साथ ही 30 बार छाती पर दबाव के उपरांत दो बार मुंह से सांस भी दिया जाता है। यह प्रक्रिया लगातार की जानी चाहिए।

सीपीआर विधि

इस दौरान एमएमयू के नोडल अधिकारी डॉ राजेश प्रसाद, एसीएमओ डॉ एके मौर्य, चिकित्साधिकारी डॉ अतुल सिंह, जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी हरिवंश यादव, द हंस फाउंडेशन के प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर संजय कुमार कर्ण, सीनियर फार्मेसिस्ट मधुसूदन गुप्ता, एमएमयू फार्मेसिस्ट संदीप गुप्ता, एएनएम ज्योति मालवीय, लैब टेक्नीशियन प्रदीप कुमार, योगेश कुमार, पायलट कमलेश यादव आदि लोग मौजूद रहे।

रिपोर्ट-संजय गुप्ता 

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