देश भर में जहां एक तरफ कोरोना अपने पैर पसार रहा है वहीं दूसरी तरफ मेडिकल व्यवस्थाओं पर सरकार पूरा ध्यान देने में जुटी है. लेकिन इसी बीच शहर में डॉक्टरों की संवेदनहीनता सामने आई है. जानकारी के मुताबिक यहां एक मजदूर के शव को अस्पताल परिसर में खुले में छोड़ दिया गया जहां बारिश होने पर वह भीगता रहा.
इस दौरान मजबूर पिता मृतक केशव के पास बिलखता रहा लेकिन डॉक्टरों का मन नहीं पसीजा. उसने कई बार अस्पताल स्टाफ से कहा कि अपने बच्चे का शव अस्पताल के बरामदे में रख ले ताकि वह भीगे ना, लेकिन अस्पताल स्टाफ ने उसे अस्पताल बिल्डिंग के अंदर शव को रखने से मना कर दिया.
ऐसे में शव को देख पड़ोस के लोगों ने पॉलीथीन लाकर शव को भीगने से बचाने की कोशिश की. आपको बता दें कि निघासन थाना क्षेत्र के गांव हरद्वाही निवासी अनिल पड़ोस के एक खेत में काम करने गया था जहां पर पैर फिसलने से ट्रैक्टर में लगे रोटावेटर फंस जाने के चलते मौके पर ही उसकी मौत हो गई.
बताया जा रहा है कि जब उसे अस्पताल लेकर पहुंचे तो तब तक अनिल की मौत हो चुकी थी. इस मामले में स्वास्थ्य महकमे की लापरवाही कहीं ना कहीं व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रही है. वहीं इस मामले में पुलिस का रवैया भी काफी लचर दिखाई दिया. मामले की रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की गई है. जिले के जिला अधिकारी शैलेंद्र सिंह का कहना है एक मजदूर की ट्रैक्टर की दुर्घटना में मौत हुई थी. अस्पताल पहुंचने से पहले उसकी मौत हो गई थी अगर इस तरीके का कोई लापरवाही हुई है तो भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति ना हो इसकी जांच करा दोषियों खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.