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दिल्ली वाले हो जाएं सावधान- ठंड और प्रदूषण बढ़ा सकती है स्ट्रोक का खतरा, ऐसे करें बचाव

देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच दिल्ली में वायु प्रदूषण लंबे समय से गंभीर समस्या बनी हुई है। यहां हवा की गुणवत्ता पिछले कई महीनों से खराब-बेहद खराब स्थिति में दर्ज की जा रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, खराब एयर क्वालिटी का सेहत पर गंभीर दुष्प्रभाव हो सकता है, इतना ही नहीं लंबे समय तक प्रदूषित हवा के संपर्क में रहने वाले लोगों में कई प्रकार की क्रोनिक और जानलेवा बीमारियों के विकसित होने का भी जोखिम हो सकता है। हवा की गुणवत्ता में सुधार के लिए अगर प्रयास नहीं किए गए तो ये सेहत के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभर सकता है।

केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक शुक्रवार को दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 340 रहा। इस पैमाने को ‘बेहद खराब गुणवत्ता’ माना जाता है। कई अध्ययनों में इस बात को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ अलर्ट करते रहे हैं कि हवा की गुणवत्ता में खराबी के जानलेवा दुष्प्रभाव हो सकते हैं।

ठंड और प्रदूषण हो सकता है घातक

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, देशभर में भीषण ठंड और शीतलहर का प्रकोप देखा जा रहा है। दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में हवा की गुणवत्ता पहले से ही खतरनाक स्तर पर है, इसलिए ये परिस्थितियां सेहत के लिए और भी चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं। ठंड की स्थित के साथ हवा की गुणवत्ता में खराबी के कारण ब्रेन स्ट्रोक का खतरा दोगुना हो सकता है।

गौरतलब है कि स्ट्रोक, हार्ट अटैक के बाद मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। सर्दियों के मौसम में इस्केमिक स्ट्रोक की घटना काफी अधिक होती है, ऊपर से प्रदूषण का स्तर और भी चिंता बढ़ाने वाला माना जा रहा है।

स्ट्रोक के खतरे को लेकर रहें सावधान

डॉक्टर कहते हैं, ठंड के मौसम में जब तापमान तेजी से गिरता है, तो इसके शरीर पर कई प्रकार से गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं। ठंड के मौसम में रक्त गाढ़ा हो जाता है, मस्तिष्क की रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं। धमनियों में ऐंठन और उनका दबाव बढ़ जाता है, ये स्थितियां स्ट्रोक का खतरा बढ़ाने वाली मानी जाती हैं।

इसके अलावा वाहनों द्वारा धुएं के उत्सर्जन, घरों को गर्म करने के लिए ईंधन जलाना, बिजली संयंत्र और रासायनिक उत्पाद के कारण वायु प्रदूषण का भी खतरा यहां लगातार बना हुआ है। ठंड और प्रदूषण का ये समय काफी सावधानी बरतने वाला है, स्ट्रोक जानलेवा समस्या है और किसी में भी इसका खतरा हो सकता है।

वायु की खराब गुणवत्ता किस तरह से हानिकारक?

अध्ययनकर्ता बताते हैं, शोध से पता चलता है कि वायु की खराब गुणवत्ता एथेरोस्क्लेरोसिस के विकास का कारण बन सकती है। एथेरोस्क्लेरोसिस, धमनी की दीवारों में कोलेस्ट्रॉल और वसा के निर्माण की समस्या है जिसके कारण खून के संचार में बाधा आने लगती है। अमेरिकन स्ट्रोक एसोसिएशन के अनुसार, ये स्थिति इस्कीमिक स्ट्रोक के लिए प्रमुख जोखिम कारकों में से एक है।

इसके अलावा सूक्ष्म कण पदार्थ (पीएम2.5) की हवा में अधिकता अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों रूप में हाई ब्लड प्रेशर का कारण बन सकती है। उच्च रक्तचाप के कारण रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है जिससे धमनियों में संकीर्णता, इसके टूटने या स्राव को जोखिम हो सकता है। उच्च रक्तचाप से धमनियों में रक्त के थक्के बनने का भी जोखिम रहता है, जो मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध करके स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकती हैं।

जोखिमों से बचाव के लिए क्या करें?

डॉक्टर कहते हैं, दिल्ली वालों को इस मौसम में विशेष सावधान रहने की सलाह दी जाती है। जिन लोगों को पहले से ही हाई ब्लड प्रेशर या क्रोनिक बीमारियों की शिकायत है उन्हें और भी अलर्ट रहने की जरूरत है। हवा की खराब गुणवत्ता और ठंड के कारण होने वाली समस्याओं के जोखिमों से बचने के लिए घर के अंदर रहने की सलाह दी जाती है। बिना फेस मास्क पहने बाहर न निकलें। सर्दियों में सुबह की वॉक के लिए भी जाने से बचना चाहिए।

शरीर को हाइड्रेटेड रखने के लिए खूब पानी पिएं और घर पर ही नियमित व्यायाम करें। ब्लड शुगर और रक्तचाप के स्तर को कंट्रोल में रखने के लिए प्रयास करते रहें।

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