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बिना भेदभाव के विकास

विधानसभा के मॉनसून सत्र में विकास के योगी मॉडल चर्चा में रहा. नेता प्रतिपक्ष ने गोरखपुर में जलभराव का उल्लेख किया. योगी को गोरखपुर पर घेरने का प्रयास किया. कहा कि “चैरिटी बिगिन्‍स एट होम” वस्तुतः अँग्रेजी की यह कहावत विकास के एक रूप को प्रदर्शित करती है. इसमें सत्ता शीर्ष से जुड़े चंद क्षेत्र और गांव जनपद अति विशिष्ट होते हैं.

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विद्युत अपूर्ति से लेकर सभी विकास कार्यों में इनको प्राथमिकता मिलती है. ऐसा करने में पिछली सरकारों को कोई संकोच भी नहीं होता था. जनादेश में तो पूरा प्रदेश शामिल होता है. लेकिन विकास में भेदभाव से प्रदेश का बड़ा हिस्सा वंचित रह गया. योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनते ही विकास के इस वीआईपी कल्चर को समाप्त कर दिया. बिना भेदभाव के विद्युत अपूर्ति सुनिश्चित की गई, ढांचागत सुविधाओं का विस्तार किया गया.

बिना भेदभाव के विकास

पूर्वी उत्तर प्रदेश चालीस वर्षों तक मष्तिष्क बुखार का प्रकोप झेलने को अभिशप्त रहा. योगी आदित्यनाथ ने इस समस्या का निवारण किया. बुंदेलखंड पानी की किल्लत, छुट्टा पशु, पलायन के लिए चर्चित था. अब वहां हर घर नल से जल का सपना साकार हो रहा है.

एक जनपद एक उत्पाद, एक जनपद एक मेडिकल कालेज बिना भेदभाव के विकास को ही प्रमाणित करने वाले हैं. इसी प्रकार लोक कल्याण की सभी योजनाओं का लाभ बिना भेदभाव के लोगों तक पहुंचाया गया. सरकारी सेवाओं में नियुक्तियां पारदर्शिता के साथ होने लगी. यह सब योगी मॉडल की पहचान हैं.

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