क्या आप जानते हैं कि पृथ्वी की तरह सूर्य पर भी भूकंप आते है। अब तक वैज्ञानिकों को इनके बारे में काफी कम जानकारी थी, लेकिन ताजा शोध ने इस विषय पर नई रोशनी डालते हुए कुछ नए खुलासे भी किए हैं। इससे कुछ पुरानी धारणाओं को भी बदलना पड़ा है। इसमें सौरज्वाला और कोरोनल मास इजेक्शन भी शामिल हैं। इस मामले में वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी के भूकंप की तरह सूर्य के भी ये ‘भूकंप’ सूर्य के अंदर के हालात की काफी जानकारी दे सकते हैं।
क्या होते हैं ये ‘भूकंप’
सूर्य पर आने वाले ‘भूकंप’ को सनक्वेक कहा जाता है। यह वास्तव में सूर्य के आंतरिक भाग में एक छोटे समय के लिए आना वाली भूकंपीय व्यवधान (seismic disturbance) होता है जो सूर्य की सौरज्वाला और सीएमई के साथ ही सूर्य की सतह पर तरंगित होकर फैलते हैं। NASA के सोलर डायनामिक्स ऑबजर्वेटरी (SDO) डेटा के आंकड़ों के आधार पर हुआ अध्ययन सुझाता है कि इन सनक्वेक की कार्य प्रणाली सूर्य की सतह के नीचे के कुछ रहस्यों को उजागर कर सकती है।
ध्वनि तरंगों से निकली राह
सूर्य के ये ‘भूकंप’ वहां की सतह पर पैदा होने वाली सौर ज्वाला के साथ एक विस्तारित तरंगों के रूप में अवलोकित किए जाते हैं। ये तरंगें एक तरह की ध्वनि तरंगें को पैकेट को प्रदर्शित करती हैं जो सूर्य के आंतरिक भाग से निकलती हैं और सौर ज्वाला के प्रभाव से उत्तेजित हो जाती है। जुलाई 2011 में जब एक ‘ सूर्य के भूकंप’ का अवलोकन किया गया जिसकी अल्पतीव्र सौर ज्वाला में से असामान्य रूप से तीखी तरंगें एसडीओ ने अवलोकित की। वैज्ञानिक इन तरंगों के स्रोत तक पहुंचने में सफल रहे जिसके लिए उन्होंने हेलियोसीज्मिक होलोग्राफी तकनीक का उपयोग किया। इस तकनीक में एसडीओ का हेलियोसीज्मिक और मैग्नेटिक इमेजर का उपयोग किया गया। वैज्ञानिकों ने इस तकनीक से सूर्य की सतह का गतिविधि मापी जिसका पहले भी सूर्य के अलावा अन्य स्रोतों की ध्वनि तरंगों का रास्ता पता लगाया गया था। वैज्ञानिकों ने देखा कि ये तरंगे बजाय सूर्य की सतह से अंदर की ओर जाने के सौर ज्वाला के आने के फौरन बाद उनके आने वाली जगह की बहुत गहराई से आती है।