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संकटकाल में डा. राम मनोहर लोहिया संस्थान पर असंवेदनशीलता का आरोप

लखनऊ। डॉक्टर राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान ने अनेक रोगियों की जिंदगी को ताक पर रखते हुए आधा दर्जन से अधिक कर्मियों को अचानक कार्यमुक्त कर दिया। कोरोना काल में जब अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों के इलाज के लिए भी प्रदेश सरकार पूरी संवेदना से तैयारियों में जुटी है तो वहीं प्रदेश सरकार की नाक के नीचे लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के आला अधिकारी सरकार की मंशा के उलट कार्य करने में लगे हैं। अधिकारियों के तुगलकी फरमान से हृदय, नेत्र व दांत आदि के मरीज भटकने को विवश हैं।

अपने नौ कर्मचारियों को कार्यमुक्त करने सम्बंधी जारी पत्र में संस्थान ने कहा है कि 20 नवम्बर 2019 के एक आदेश द्वारा डा. राम मनोहर संयुक्त चिकित्सालय के उक्त कर्मचारियों को अन्य चिकित्सालयों से स्मबड़ध किया गया था किन्तु संस्थान के सुचारु रूप से संचालन हेतु उक्त कर्मचारियों को संस्थान से कार्यमुक्त नहीं किया गया था।

हैरत यह है कि नए कर्मचारियों को तैनात किए बगैर ही एक फ़र्मासिस्ट, तीन ई.सी.जी. टेक्नीशियन, दो डार्क रूम सहायक, एक डेंटल हाइजीनिस्ट, एक लैब टेक्नीशियन और एक नेत्र परीक्षण अधिकारी को कार्यमुक्त हो जाने का आदेश दे दिया गया है।

मिली जानकारी के अनुसार डा . राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय एवं दा. राम मनोहर आयुर्विज्ञान संस्थान के विलय सम्बंधी प्रक्रिया के समय (वर्ष 2017) से ही वेतन, भत्ते आदि को लेकर पैरा मेडिकल्स कर्मचारियों का एक परिवाद माननीय उच्च न्यायालय में लंबित है। कार्यमुक्त हुए कर्मचारियों ने इस आदेश को मानवीय संवेदनाओं के विरुद्ध होने साथ-साथ, न्याय व्यवस्था का भी अपमान बताया है।

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