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डॉ. सूर्यकान्त ने लहराया अपनी प्रतिभा का परचम, दुनिया के सर्वोच्च वैज्ञानिकों में हुए चयनित

कानपुर नगर। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकान्त ने दुनिया के सर्वोच्च वैज्ञानिकों की श्रेणी में चयनित होकर अंतरराष्ट्रीय ख्याति अर्जित की है। डॉ. सूर्यकान्त को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिकों की सूची (स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय कैलीफोर्निया, अमेरिका द्वारा चयनित वैज्ञानिकों की ग्लोबल रैकिंग के अनुसार) में शामिल किया गया है। इटावा के मूल निवासी डॉ. सूर्यकान्त इससे पहले भी अपने शोध और सराहनीय चिकित्सा सेवाओं के बल पर प्रतिभा का परचम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पटल पर फहरा चुके हैं। इसके साथ ही वह आईएमए-एएमएस के नेशनल वाइस चेयरमैन की भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहे हैं।

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के तत्वावधान में उत्कृष्ट अनुसन्धान कर रहे विश्व के शीर्ष वैज्ञानिकों का स्कोपस डाटाबेस बनाया जाता है। इसके माध्यम से विश्व के दो फीसद श्रेष्ठ वैज्ञानिकों की खोज की जाती है। दुनिया के इन तमाम वैज्ञानिकों को 22 वैज्ञानिक क्षेत्रों और 176 उप क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है। इन सभी वर्गों में से ही कम से कम पांच शोधपत्र प्रस्तुत करने वाले वैज्ञानिकों को विशिष्ट परसेंटाइल भी दिया जाता है। दुनिया के शीर्ष वैज्ञानिकों की सूची में डॉ. सूर्यकान्त का नाम चयनित होने पर केजीएमयू के कुलपति ले. जन. डॉ. बिपिन पुरी ने बधाई दी है।

डॉ. सूर्यकान्त केजीएमयू-लखनऊ के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में 26 वर्षों से चिकित्सा शिक्षक, 17 वर्षों से प्रोफेसर व 11 वर्षों से विभागाध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं। वह 200 से अधिक चिकित्सा वैज्ञानिक के गाइड और चिकित्सा विज्ञान की 50 शोध परियोजनाओं का निर्देशन कर चुके हैं। उन्होंने चिकित्सा विज्ञान संबंधी 19 पुस्तकें, 66 अध्याय और 700 से अधिक शोध पत्र का प्रकाशन किये हैं। उनके पास दो अमेरिकी पेटेंट और अस्थमा में नवाचार हैं। उन्हें 12 ओरेशन अवार्ड्स और 20 फेलोशिप अवार्ड्स सहित 163 अवार्ड्स से सम्मानित किया गया है।

इसके अलावा, विभिन्न संस्थाओं द्वारा मानद प्रोफेसर और सर्वश्रेष्ठ शिक्षक पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है। डॉ. सूर्यकांत चिकित्सा विज्ञान पर 600 से अधिक व्याख्यान दिए हैं। उन्होंने मेडिकल छात्रों और डॉक्टरों, विशेष रूप से ग्रामीण, पहाड़ी, दूरस्थ और आदिवासी क्षेत्रों के प्रशिक्षण के लिए विभिन्न शिक्षण मॉड्यूल विकसित किए हैं। उन्होंने चिकित्सा विज्ञान के प्रसार के उद्देश्य से 100 से अधिक कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया है।

उत्तर प्रदेश के कोरोना प्रोटोकॉल को बनाने में डॉ. सूर्यकांत का असाधारण योगदान रहा, आइवरमेक्टिन पर श्वेत पत्र का लेखन और भारत के गरीब, ग्रामीण लोगों के लिए संशोधित और सरलीकृत प्रोटोकॉल के साथ अभिनव दृष्टिकोण ने एक कोविड योद्धा और ब्रांड एंबेसडर के रूप में लोकप्रिय बनाया। उन्होंने कोविड के दौरान विभिन्न स्वैच्छिक संगठनों और ग्राम प्रधानों के नेटवर्किंग के माध्यम से कोरोना दवाएं वितरित की हैं और ग्रामीण लोगों के कई जीवन बचाए हैं। डॉ. सूर्यकान्त ने चिकित्सा विज्ञान को हिंदी में सरल भाषा द्वारा अपनी पुस्तकों एवं एक हजार से अधिक लेखों द्वारा आमजन को जागरूक बनाया है। वह चेस्ट रोग संबंधी सभी संस्थाओं के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। उनका टी.बी., तम्बाकू, कैंसर, प्रदूषण, जीवन शैली, योग, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान है।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर 

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