नई दिल्ली (शाश्वत तिवारी)। दुबई के क्राउन प्रिंस (Dubai Crown Prince), यूएई के उप प्रधानमंत्री (UAE Deputy Prime Minister) और रक्षा मंत्री महामहिम शेख हमदान बिन मोहम्मद अल मकतूम (Defense Minister His Highness Sheikh Hamdan bin Mohammed Al Maktoum) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Invitation of Prime Minister Narendra Modi) के निमंत्रण पर दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर मंगलवार को भारत पहुंचे (Arrived In India)। पालम हवाई अड्डे पर पहुंचने पर केंद्रीय पर्यटन और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री सुरेश गोपी ने क्राउन प्रिंस का गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्हें औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर (Guard of Honor) दिया गया, जो यात्रा के महत्व और दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों को दर्शाता है।
शेख हमदान ने मंगलवार को भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ बैठक की, जिस दौरान दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय सहयोग को गहरा करने के उद्देश्य से कई पहलों पर चर्चा की। बैठक में छह प्रमुख परिणाम सामने आए: आईआईएम अहमदाबाद सितंबर 2025 में एमबीए कक्षाओं के साथ दुबई में एक परिसर खोलेगा, भारतीय विदेश व्यापार संस्थान एक्सपो सिटी दुबई में अपना पहला विदेशी परिसर शुरू करेगा, भारत मार्ट का निर्माण शुरू हो गया है, जिसका 3डी मॉडल भी सामने आया है। दुबई में यूएई-भारत मैत्री अस्पताल के लिए भूमि प्रदान की गई है, कोच्चि और वडिनार में जहाज मरम्मत क्लस्टर विकसित किए जाएंगे, और दुबई चैंबर ऑफ कॉमर्स ने भारत कार्यालय खोला है।
बाद में शेख हमदान ने पीएम मोदी से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने भारत और यूएई के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर चर्चा की और सहयोग के नए रास्ते तलाशे। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने भी क्राउन प्रिंस से मुलाकात की, जहां उन्होंने दोनों देशों के बीच कई क्षेत्रों में साझा किए गए जीवंत और बढ़ते संबंधों पर विचार-विमर्श किया।
बुधवार को हमदान ने मुंबई में एक उच्च स्तरीय व्यावसायिक कार्यक्रम के दौरान वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से भी मुलाकात की। उनकी चर्चाओं में भारत-यूएई व्यापार के तेजी से विकास पर व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (सीईपीए) के सकारात्मक प्रभाव पर फोकस रहा। उल्लेखनीय है कि वर्चुअल ट्रेड कॉरिडोर (वीटीसी) पर भी प्रगति हासिल हुई है, जिसने सुगम व्यापार प्रवाह को सहज बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इसे भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर (आईएमईईसी) के आधारभूत कंपोनेंट के रूप में देखा जाता है।