Breaking News

सीमेंट की कीमत बढ़ने से सस्ते मकानों की घट सकती है मांग, इन्फ्रा प्रोजेक्ट भी होंगे प्रभावित

देशभर में सीमेंट की कीमतें बढ़ने से किफायती यानी सस्ते मकानों के निर्माण में बाधा आ सकती है। साथ ही, ग्राहकों को आवासीय संपत्तियां खरीदने के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ सकती है। इससे मकानों की बिक्री पर असर पड़ने की आशंका है।  रियल एस्टेट उद्योग से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि किफायती मकानों के निर्माण में पहले से ही धीमापन है। अब सीमेंट के दाम बढ़ने से खुदरा ग्राहकों की खरीदारी, बड़े पैमाने पर निर्माण परियोजनाएं और बुनियादी ढांचा प्रोजेक्ट प्रभावित हो सकते हैं। आने वाले समय में इसका असर रियल एस्टेट उद्योग पर दिखेगा।

सीमेंट की कीमतें पिछले सप्ताह उत्तरी भारत में 10-15 रुपये, मध्य भारत में 30-40 रुपये और पश्चिमी भारत में 20 रुपये प्रति बोरी की दर से बढ़ी हैं। उद्योग के मुताबिक, कमजोर मांग से पिछले पांच महीने में सीमेंट की कीमतें घटीं थीं। नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नरेडको) के चेयरमैन निरंजन हीरानंदानी ने कहा, सस्ते मकानों की मांग पहले से ही कमजोर है। सीमेंट के दाम बढ़ने से यह लोगों की पहुंच से बाहर हो जाएगा। अन्य लागतें भी बढ़ जाएंगी।

बिल्डर कर सकते हैं बजट का पुनर्मूल्यांकन
सीमेंट की कीमतें बढ़ने से बिल्डरों को अपने बजट का पुनर्मूल्यांकन करने की जरूरत पड़ सकती है क्योंकि दाम बढ़ने से निर्माण लागत पर 4 से 5 रुपये का असर पड़ता है। ऐसे में वे अपने प्रोजेक्ट की संभावित कीमत में इसे जोड़ सकते हैं।

भारत दुनिया में सीमेंट का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक
भारत दुनिया में सीमेंट का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। वैश्विक स्थापित क्षमता में इसका हिस्सा 8 फीसदी से अधिक है। क्रिसिल रेटिंग के मुताबिक, मकानों और इन्फ्रा गतिविधियों पर खर्च से घरेलू सीमेंट उद्योग ने 2023-24 में 8 करोड़ टन सीमेंट की क्षमता जोड़ी है। यह पिछले 10 वर्षों में सबसे अधिक है। वित्त वर्ष 2027 तक सीमेंट खपत 45 करोड़ टन तक पहुंच सकती है।

About News Desk (P)

Check Also

जुलाई से पहले भरें रिटर्न, जल्द रिफंड मिलने समेत होंगे पांच फायदे

करदाताओं के लिए वित्त वर्ष 2023-24 या आकलन वर्ष 2024-25 के लिए आयकर रिटर्न (आईटीआर) ...