बैंकों के पास तरलता की दिक्कत लगातार बढ़ रही है। ऐसे में कुछ बाजार सहभागियों ने आरबीआई से प्रणाली में तरलता बढ़ाने की मांग की है, ताकि बैंक आसानी से उधार दे सकें। सहभागियों के समूह ने बृहस्पतिवार देर रात केंद्रीय बैंक के अधिकारियों से मिलकर इससे निपटने के उपाय भी सुझाए। बैंकिंग प्रणाली में तरलता की दिक्कत बरकरार रहती है तो उधार पर ब्याज दरें ऊंची रहने की संभावना है। इससे कर्ज देने की रफ्तार प्रभावित हो सकती है, खासकर जब देश की आर्थिक वृद्धि धीमी हो रही है।
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सूत्रों के मुताबिक, कुछ बैंकरों ने बैंकों के लिए नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में अस्थायी कटौती का भी सुझाव दिया। इससे बैंकों के पास नगदी बढ़ जाएगी। सीआरआर वह हिस्सा होता है, जो बैंक आरबीआई के पास रखते हैं। दिसंबर के मध्य से बैंकिंग प्रणाली की तरलता लगातार गिर रही है।
पिछले पांच हफ्तों में दैनिक औसत कमी लगभग 1.50 लाख करोड़ रुपये रही है। बैंकरों ने बताया कि आरबीआई से जो पैसे वे ले रहे हैं, उसकी एक रात की दर उनकी न्यूनतम सीमांत स्थायी सुविधा दर से भी ऊपर बनी हुई है। इसका अर्थ है कि बैंक आरबीआई से उच्च ब्याज दरों पर उधार ले रहे हैं। ऐसे में बैंक ग्राहकों को भी ज्यादा ब्याज दर पर उधारी देंगे।