पिछले साल मार्च में देश में संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा करने वाले प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ताज़ा संबोधन में ज़ोर देकर कहा कि देश को लॉकडाउन से बचाना ज़रूरी है.
लोगों की उम्मीदों से इतर रिजर्व बैंक ये आंकलन करने में जुटा है कि महामारी में अर्थव्यव्स्था परजो चौरतरफा असर पड़ा है उसका आर्थिक आउटपुट पर क्या असर पड़ेगा. ऐसे में रिजर्व बैंक ने आशंका जताई है कि इस वित्तीय वर्ष में 2 लाख करोड़ के नुकसान का सामना करना पड़ सकता है.
उनके ऐसा कहने के पीछे ठोस वजहें हैं, मार्च 2020 से अप्रैल 2021 के तेरह महीनों में कोविड संक्रमण की वजह से पूरा देश भारी मुश्किलों और चुनौतियों के दौर से गुज़रा है. लॉकडाउन के बाद अनलॉक की प्रक्रिया शुरू करके देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिशें की गईं.
दूसरी लहर से जहां आमजन की जरूरी चीचों तक पहुंच सीमित हो गई, वहीं सप्लाई पर भी नकारात्मक असर पड़ा. वहीं इंडस्ट्री की बात करें तो कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने का असर उसकी उत्पादक क्षमता पर पड़ा.
इसका जीडीपी पर सीधा असर नहीं पड़ेगा लेकिन फाइनेंशियल गतिविधियां आपस में एक दूसरे से जुड़ी हैं तो इस तरह इकोनॉमिक आउटपुट पर 2 लाख करोड़ का नुकसान होने की संभावना है. रिजर्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में ये बात कही है.