वर्तमान केंद्र सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक सुधार किए है। इसके दृष्टिगत गत वर्ष नई शिक्षा नीति लागू की गई थी। विगत एक वर्ष में इस दिशा में प्रभावी प्रगति हुई है। जबकि इस अवधि में कोरोना संकट का प्रकोप रहा। इससे शिक्षण संस्थाओं को बंद करना पड़ा था। फिर भी बड़ी संख्या में शिक्षाविदों व अनेक विश्वविद्यालयों ने नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन का उल्लेखनीय कार्य किया है।
इस क्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि नई शिक्षा नीति इक्कीसनवीं सदी की जरूरत को पूरा करने में सहायक होगी। उन्होंने शिक्षा क्षेत्र में बेहतर कार्य के लिये के राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना की। राष्ट्रपति ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी लखनऊ के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। उन्होंने मेधावी छात्र छात्राओं को उपाधि व सम्मान प्रदान किया।
इसके अलावा विश्वविद्यालय के सावित्रीबाई फूले बालिका छात्रावास का शिलान्यास किया। अटल बिहारी वाजपेई प्रेक्षागृह में राष्ट्रपति ने यहां की अपनी पिछली यात्रा का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि मुझे 2017 में भी इस विश्वविद्यालय में आने का अवसर मिला था। यह पहला संस्थान है,जहां दीक्षांत समारोह में मैं दो बार आया हूं। पिछली बार राष्ट्रपति ने यहां एल्युमनी एसोसिएशन का सुझाव दिया था। उनके इस सुझाव पर अमल किया गया। जिस पर इस बार अमल दिखा।
उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय बाबा साहेब अंबेडकर के विचार समावेशी विकास के साथ अनुसूचित जाति जनजाति छात्रों को बेहतर शिक्षा देने की विशेष योगदान दे रहा है। अनेक प्रयासों से ऐसे छात्रों को शिक्षा के अवसर बढ़े हैं। इस प्रकार बाबा भीमराव अंबेडकर का सपना साकार हो रहा है। अपनी पिछली यात्रा के दौरान राष्ट्रपति ने लखनऊ में बाबा साहेब अंबेडकर के सांस्कृतिक केंद्र का शिलान्यास किया था। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब एक शिक्षाविद समाज सुधारक विधिवेत्ता व विशेषज्ञ थे।
यह ध्यान रखना चाहिए कि शील के बिना शिक्षा अधूरी है। शील के बिना शिक्षा ज्ञान की तलवार अधूरी है। विश्विद्यालय के मूल तत्व में शब्द दिए गए प्रज्ञा शील और करुणा का प्रतिपादित डॉ आंबेडकर ने किया था।