अयोध्या। अमानीगंज क्षेत्र के पूरे कटैया भादी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन अयोध्या से पधारे कथा व्यास पंडित उत्तम तिवारी महाराज ने धुंधकारी मोक्ष, परीक्षित श्राप व मोक्ष, गोकर्ण की कथा सुनाई।
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कथा का वर्णन करते हुए कथा व्यास ने कहा कि एक बार परीक्षित वन में शिकार करने निकले अचानक चलते चलते राजा को प्यास लगी जंगल में कहीं पानी नहीं दिखा। राजा परीक्षित समीक मुनि के आश्रम पहुंच जाते हैं, वहां समीक मुनि तपस्या में लीन थे।
राजा परीक्षित के सिर पर स्वर्ण मुकुट पर विराजमान कलियुग के प्रभाव से राजा ने इसे अपना अपमान समझा। क्रोध के कारण राजा परीक्षित ने उनके गले में मरा हुआ सांप डाल दिया। जब इस बात का पता शमीक ऋषि के पुत्र श्रृंगी ऋषि को लगता है, तो वह क्रोध में आकर राजा परीक्षित को श्राप दे देते हैं।
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उसके बाद गोकर्ण और धुंधकारी की कथाओं का वर्णन करते हुए बताया कि बच्चे की प्रथम गुरु उसकी मां होती मां बच्चों को जो शिक्षा देती है बच्चा वैसे ही बन जाता है। धुंधली ने धुंधकारी को अनैतिक कर्तव्य और कुमार्ग गामी बना दिया जिसके फलस्वरू मृत्यु मिली। इस अवसर पर मुख्य यजमान राकेश तिवारी, पंकज तिवारी, दिनेश, अंशू, आकाश, अंश, रिशु व आशू आदि उपस्थित रहे।
रिपोर्ट-जय प्रकाश सिंह