हैदराबाद ओबैसी के सियासी वजूद का केंद्र है। उनके सभी विवादित भाषण यहीं से शुरू होते है। इसके माध्यम से ही उन्होंने वर्ग विशेष में अपनी लोकप्रियता बनाई थी। ओबैसी को इसके पहले ऐसी सीधी चुनौती कभी नहीं मिली थी। इतना ही नहीं किसी राज्य के मुख्यमंत्री का यहां पहले इतना जबरदस्त स्वागत नहीं हुआ था।
योगी आदित्यनाथ ने यह कीर्तिमान बनाया है। वह जहां गए,लोगों का हुजूम उनके स्वागत व समर्थन के लिए उमड़ रहा था। ऐसा नहीं कि योगी केवल ओबैसी को चुनौती देने गए थे। प्रसंग में उनका जिक्र भी हुआ। योगी ने जो कहा उससे ओबैसी तिलमिला कर रह गए। हैदराबाद पहले भाग्यनगर नाम इतिहास में प्रतिष्ठित था। योगी ने इतना ही कहा कि जब इलाहाबाद और फैजाबाद का पुराना नाम बहाल हो सकता है,यो हैदराबाद का नाम भाग्यनगर क्यों नहीं हो सकता। यह नाम तो सुख समृद्धि का प्रतीक है।
योगी सरकार ने इलाहाबाद को प्रयागराज और फैजाबाद को अयोध्या नाम पुनः विभूषित किया है। ऐसे में हैदराबाद को लेकर उनकी टिप्पणी पर लोगों ने बहुत उत्साह दिखाया। इसी प्रकार योगी ने बिहार के विद्यायक का उल्लेख किया। उसने हिंदुस्तान कहने पर आपत्ति थी। योगी ने इस प्रकार की सियासत को राष्ट्रीय एकता के प्रतिकूल बताया। लेकिन योगी का मुख्य फोकस सुशासन पर ही था। इसके लिए उन्होंने तेलंगाना सरकार पर निशाना लगाया।
उन्होंने कहा कि इस सरकार को भी बिचौलियों वाली व्यवस्था पसन्द है। इसलिए वह गरीबों के खातों में सीधे धन भेजने की योजना पर अमल नहीं कर रही है। योगी ने कहा कि टीआरएस सरकार ने एआईएमआईएम के साथ एक गठबंधन कर जनता की भावना के साथ खिलवाड़ किया है।
प्रधानमंत्री देश के अंदर बारह करोड़ किसानों को किसान सम्मान निधि का छह हजार रुपए सालाना आनलाइन उनके अकाउंट में भेज रहे हैं, लेकिन हैदराबाद में बाढ़ पीड़ितों की दी जाने वाली धनराशि गरीबों के खाते में नहीं पहुंच रही है। यह भ्रष्टाचार फैलाने का प्रयास है। एक तरफ आपके पूर्वजों ने निजामशाही के खिलाफ एक लड़ाई लड़ी थी। लेकिन निजाम के रूप में एक परिवार फिर से आकर इस पूरे तेलंगाना में लूट खसोट का एक नया जरिया बना रहा है।
उन्होंने कहा कि जब देश के सारे नेता सो रहे थे तो प्रधानमंत्री कोविड वैक्सिन के लिए अहमदाबाद हैदराबाद और पुणे की लैब का दौरा कर रहे थे। आपके बीच भी आए थे। टीआरएस के मुख्यमंत्री तो आज तक हैदराबाद की लैब में गए भी नहीं होंगे।
डॉ. दिलीप अग्निहोत्री