औरैया। भले ही विधानसभा का चुनावी घमासान तेज हो गया है लेकिन, इस क्षेत्र का अधिकांश किसान मतदाता, अपने साल भर के खाने-खर्चे का काम चलाने वाली रबी की प्रमुख फसल की निराई सिंचाई कटाई के काम में जुटा हुआ है। ऐसे में गांव पहुंच रहे नेताओं को किसान मतदाताओं के दर्शन न हो पाने से प्रत्याशियों और उनके समर्थकों की चिंताएं बढ़ी हुई नजर आ रही हैं।
खाने-खर्चे में लगा किसान, प्रत्याशियों-समर्थकों के चेहरे की रौनक फीकी
बिधूना विधानसभा क्षेत्र 202 के अधिकांश मतदाता किसान हैं और इस समय रबी की प्रमुख फसल की निराई सिंचाई का काम जोरों पर चल रहा है। साथ ही आलू की खुदाई व सरसों की कटाई मडाई का काम भी तेज़ी पर है। ऐसे मेंं क्षेत्र के अधिकांश किसान मतदाता अपने साल भर के खाने दाने और ऊपरी खर्चे चलाने वाली प्रमुख फसल रबी की तैयारी में जुटे हुए हैं। अधिकांश किसान मतदाता चुनाव की तरफ कोई रुचि लेता नजर नहीं आ रहा है। जिससे जनसंपर्क के दौरान मतदाताओं के गांव में पहुंचने पर उन्हें आम किसान मतदाता नजर नहीं आता है। इससे प्रत्याशियों और उनके समर्थकों के चेहरों की रौनक फीकी पड़ती नजर आ रही है।
छलावा से किसानों के छीन लिए जाते हैं वोट, किसानों का उत्साह ठंडा- भाकियू
भाकियू जिला अध्यक्ष विपिन राजपूत का कहना है कि रबी ही एक ऐसी फसल है जो किसानों की साल भर के खाने और ऊपरी खर्च के काम आती है ऐसे में किसानों की चुनाव के प्रति रुचि न होना स्वाभाविक है। उनका यह भी कहना है कि हर बार किसानों के साथ छलावा कर उनके वोट तो हड़प लिए जाते हैं लेकिन, उनके हित में कुछ भी नहीं किया जाता। जिससे किसानों का उत्साह ठंडा है।
चुनाव आते-जाते रहते हैं, जीतने-हारने के बाद किसानों की तरफ कोई नहीं पूछता- आम किसान
जयपाल दोहरे, छुन्ना लाल, राठौर धीरेंद्र सेंगर, अनिल कुमार सिंह, वीरेंद्र दोहरे, विजय नारायण बाथम, आदि किसानों का कहना है कि चुनाव तो आते जाते ही रहते हैं और जीतने हारने के बाद कोई किसानों की तरफ मुंह मोड़ कर नहीं देखता। किसान रात-दिन एक करके आवारा पशुओं की रखवाली कर रहा है फिर भी लाखों रुपए की लागत और मेहनत से तैयार फसलें आवारा पशु खा रहे हैं इसलिए किसानों का भी उत्साह चुनाव के प्रति ठंडा पड़ा है।
Report – Anshul Gaurav