डलमऊ/रायबरेली। दोना पत्तल बना कर अपनी जीविका चलाने वाले कामगार श्रमिकों का रोजगार छिन गया उनकी जगह पर अब फाइबर का प्रचलन हो गया है, दोना पत्तल बना कर अपना जीवन यापन करने वाले कामगार श्रमिकों के पास आजीविका का संकट गहराने लगा है। विकासखंड दीन शाह गौरा के नक्की नारी ग्राम पंचायत गौरा हाथों में लगभग एक दर्जन ऐसे परिवार हैं। जो पूर्व में पेसे से दोना पत्तल कामगार श्रमिक है अपने को बड़मानुष जाति का बताने वाले यह श्रमिक अब अपनी जीविका के लिए चिंतित है।
महिला सुनीता देवी ने बताया कि हम लोग पत्तों से दोना पत्तल बना कर बाजार में बेचते थे। और उससे जो आए होती थी उसी से हम लोगों का जीवन यापन चलता था। शादी विवाह के अवसरों पर या अन्य कार्यक्रम में लोग पत्तों से बने हुए दोना पत्तल प्रयोग करते थे जिनसे उनकी आय होती थी। लेकिन अब आधुनिकता के दौर में यह सब खत्म हो गया सरकार हम लोगों की जीविका के विषय में कोई स्रोत नहीं बना रही है।
अनीता ने बताया कि अब दोना पत्तल का प्रचलन खत्म हो गया है। जीवन यापन नहीं हो पा रहा है, मेहनत मजदूरी करनी पड़ रही है। जगदेव जो लगभग 60 वर्ष के हो चुके हैं कहते हैं अब हम लोगों की जीविका कैसे चलेगी सरकार हम लोगों को ध्यान नहीं दे रही। शासन द्वारा दिया जाने वाला आवास नहीं मिला, किसी तरीके से फूस की झोपड़ी में गुजर-बसर करते हैं। बरसात के दिनों में रात मुश्किल से भी देती है। ठंडी रातों में बजने का कोई सहारा नहीं रहता।
ऐसे दर्जनों परिवार हैं जिनको पीएम आवास योजना का लाभ नहीं दिया गया। स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के अंतर्गत दिए जाने वाला शौचालय भी नसीब नहीं हुआ। खुले में शौच के लिए मजबूर हैं एक दर्जन परिवार हैं, जो झोपड़ियों में रह रहे हैं। शुद्ध पानी पीने के लिए कोई इंडिया मारका नहीं नल नहीं है। मुफ्त मिलने वाला उज्जवला योजना का गैस सिलेंडर नसीब नहीं हुआ, क्या करें दर्जनों परिवार अपनी गरीबी पर आंसू बहा रहे है।
रिपोर्ट-दुर्गेश मिश्रा