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त्याग और तपस्या का दूसरा नाम किसान: आकाश सिंह

 चन्दौली। राष्ट्रीय किसान दिवस 23 दिसंबर को मनाया जाता है। त्याग और तपस्या का दूसरा नाम किसान है। यह जीवन भर मिट्टी से सोना उत्पन्न करने की तपस्या करता रहता है। तपती धुप, कड़ाके की ठण्ड तथा मूसलाधार बारिस भी उसकी इस साधना को तोड़ नहीं पाते। हमारे देश की लगभग सत्तर प्रतिशत आज भी गावों में निवास करती है। जिसका मुख्य व्यवसाय कृषि है।

एक कहावत है कि भारत की आत्मा किसान है जो गावों में निवास करते है। किसान हमें खाद्यान देने के अलावा भारतीय संस्कृति और सभ्यता को भी सहेज कर रखे हुए है। यही कारण है कि शहरों की अपेक्षा गांवों में भारतीय संस्कृति और सभ्यता अधिक देखने को मिलती है। किसान की कृषि ही शक्ति है और यही उसकी भक्ति है। भारत का अधिकांश आय स्रोत कृषि है और कृषि का अभिन्न अंग है ।

वहीं आकाश सिंह ने बताया कि किसान एक ऐसा मजदूर है जो मेहनत करके भी दुखी है, मजबूर है। आज भारत सबसे दयनीय हालत किसान की है। देश की आजादी के बाद से हर स्थिति में सुधार आया, लेकिन किसान की स्तर में कोई सुधर नहीं। किसान देश की नींव है जब इस नींव पर संकट आता है, तो देश की आधारशिला हिल जाती है। आज सबसे ज्यादा जरूरत है कि जैसे किसान एवं किसानों के स्तर को ऊपर उठाया जाय? कैसे देश को इस दिशा में आत्मनिर्भर बनाया जाये?

कृषि कार्य मानव जाति का सबसे पुराना और आवश्यक उद्योग है, आज भी चावल, गेंहू, बादाम या कोई भी फल का उत्पादन मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण है, जिससे ना केवल उत्पादन करने वाले मतलब कृषको को बल्कि पुरे समाज को फायदा मिलता है। भारत में सदियों से कृषि कार्य को प्रधानता दिया जा रहा है। इसलिए यहाँ पर किसानों हितों ध्यान रखना बहुत ही जरूरी हो जाता है। आज भी देश में आधे से अधिक जनसँख्या कृषि पर निर्भर है और भारत में कृषि ने विकास के कई आयामों को देखा है। 60 दशक में हरित क्रांति ने पंजाब और हरियाणा के साथ पूरे देश में कृषि का परिदृश्य बदल दिया था। इससे ना केवल देश का आर्थिक विकास हुआ, बल्कि किसानों की आवश्यकता को सरकार से लेकर आम-जन तक प्रत्येक वर्ग ने समझा। इसी क्रम कृषको के सम्मान और अधिकारों की रक्षा के लिए किसान दिवस मनाने की भी शुरुआत हुई।

वहीं उन्होंने राष्ट्रीय किसान दिवस का इतिहास इस दिन का आयोजन देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के सम्मान में किया जाता है।वो देश के पांचवें प्रधानमंत्री थे। हालाँकि उन्होंने केवल 28 जुलाई 1979 से लेकर 14 जनवरी 1980 तक ये पदभार संभाला था। इस दौरान ही इन्होने किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए बहुत सी नीतियां बनाई थी। चौधरी चरण सिंह की बहुत सी नीतियां ना केवल किसानों की हितों की रक्षा करती थी बल्कि उन्हें एकजुट करके भागीदारों से लड़ने को प्रेरित भी करती थी।

उन्होंने जय जवान-जय किसान का वास्तविक रूप में अनुसरण किया था। वो लेखक थे और उन्होंने अपने लेखन के हुनर का उपयोग किसानों की समस्याओं और उनके समाधान की किताबों को लिखने में उपयोग किया था और इस तरह उन्होंने कृषकों के जीवन स्तर को सुधारने के बहुत प्रयास किये थे। देश के आम किसानों के बीच सदा लोकप्रिय रहे। इस नेता की जयंती को ही किसान दिवस Farmers Day के रूप में मनाना निर्धारित किया गया है। ये बात हर कोई जनता है कि किसान ही देश का मेरुदंड है इसलिए इनके हितों की रक्षा करना बेहद आवश्यक है। इस तरह किसान पृष्टभूमि के चरण सिंह के सम्मान में मनाया जाने वाला ये दिन भारतीयों के मन में किसानों के लिए सम्मान को बढ़ाता है। वही आकाश सिंह ने कहा कि 2022 में अगर अखिल भारत हिन्दू महासभा की सरकार आती है तो सबसे पहला मुद्दा किसानों के विकास का मुद्दा होगा क्योंकि किसान है तो हम है। इस मौके पर जिलाउपाध्यक्ष अंशु शर्मा सहित पूरी जिला कार्यकारिणी उपस्थित ।

रिपोर्ट-अमित कुशवाहा

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