करवा चौथ भारतीय हिंदू संस्कृति में सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। पति पत्नी के प्रेम और समर्पण का प्रतीक करवा चौथ का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को बड़े उत्साह व उमंग से मनाया जाता है।इस बार यह पर्व 4 नवंबर को मनाया जाएगा। विवाहित स्त्रियां करवा चौथ का व्रत अपने पति की दीर्घायु, सुखद दांपत्य जीवन की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती है। पति पत्नी के रिश्ते में प्यार आस्था समर्पण एवं विश्वास को और प्रगाढ़ करने वाला यह पर्व उनके दांपत्य जीवन को स्थायित्व प्रदान करता है।यही वजह है कि सदियों से चली आ रही है इस परंपरा को आज भी बड़े श्रद्धा व विश्वास से निभाया जा रहा है।
सास की सरगी का महत्व
करवा चौथ के व्रत में सास द्वारा बहु को दी जानेवाली सरगी का विशेष महत्व होता है। सास तारों की छांव में सूरज उदय होने से पूर्व,अपनी बहू को कपड़े, सुहाग की वस्तुएं जैसे चूड़ी, बिंदिया, सिंदूर,मेहंदी,फ्रूट्स,ड्राई फ्रूट्स, नारियल, मिठाई आदि एक थाली में रखकर देती है। जिससे सरगी कहा जाता हैं।करवा चौथ का व्रत सास की दी हुई सरगी खाने के बाद ही व्रत की शुरुआत होती है।ऐसा मानना है कि सास बहू को सुहाग की चीजें देकर अपना स्नेह और आभार जताती है कि वह उसके पुत्र की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत कर रही है। तथा सांय में व्रत कथा सुनने के बाद बहू करवा पर हाथ फेर कर, बया के रूप में करवा,कपड़े,मिठाई व शगुन सास को भेंट कर उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेती है। बहु भी अपनी सास को कपड़े, मिठाई व शगुन देकर आभार जताती है कि आपने मेरे पति के रूप में ऐसा सयोग्य पुत्र को जन्म दिया।जिसके फलस्वरूप मुझे सुहागन स्त्री होने का सौभाग्य नसीब हुआ।
अब पति भी रखने लगे व्रत
सदियों से चली आ रही इस परंपरा में,महिलाएं ही अपने पति की दीर्घायु के लिए उपवास रखती है। लेकिन अब बदलते परिवेश में जहां महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के बराबर आने लगी है तो अब पुरुष भी अपनी पत्नी का साथ देते हुए व्रत रखने लगे हैं।इससे पति-पत्नी के रिश्ते में प्यार, समर्पण, आस्था और विश्वास में और अधिक मजबूती आती है।
आधुनिकता के दौर में ऑन लाइन चांद का दीदार
आधुनिकता की दौड़ में ऑनलाइन चांद का दीदार ओर तौर -तरीके अपनाए जाने से करवा चौथ का त्यौहार भी इससे अछूता नहीं है। आज दूर सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले,व सेना में कार्यरत फौजी पति के दीदार ऑन लाइन वीडियो कॉल से करके उनकी पत्नी व्रत खोलती है। व्हाट्सएप फेसबुक वीचैट आदि के माध्यम से वीडियो कॉलिंग कर एक दूसरी कमी को पूरा करते हैं और चांद के साथ अपने चांद का दीदार कर फिर व्रत खोलती है आधुनिकता के आधुनिक तरीके अपनाकर भी परंपरा को निभाने जाने की भारतीय महिलाओं की सोच को सलाम।
डॉ. शम्भू पंवार