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फाइलेरिया उन्मूलन अभियान : 4372769 लोगों को दवा खिलाने के लक्ष्य, घर तक पहुंचेगी टीम

इस अवसर पर, फाइलेरिया के राज्य कार्यक्रम अधिकारी बिपिन कुमार सिन्हा ने लोगों से फाइलेरिया की दवा खाने की अपील की, जिससे इस रोग से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया रोग से मनुष्य में अपंगता हो जाती है और वह इससे उबर नहीं पाता है। इसलिए यह दवा सभी को खानी चाहिए।

  • Published by-@MrAnshulGaurav
  • Thursday, March 24, 2022

वैशाली(हाजीपुर)। जिले में फाइलेरिया उन्मूलन अभियान का विधिवत उद्धाटन गुरुवार को हो गया। ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज (जीएचएस) के सहयोग से जिला पदाधिकारी समाहरणालय, वैशाली में आयोजित समारोह का उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर, फाइलेरिया के बिहार राज्य के अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम अधिकारी-फाइलेरिया- बिपिन कुमार सिन्हा उपस्थित थे।

साथ ही, भारत सरकार में वेक्टर बोर्न डिजीज की संयुक्त निदेशक डॉ छवि पंत, सिविल सर्जन डॉ अखिलेश कुमार मोहन, एसीएमओ डॉ अमिताभ, जिला वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल अधिकारी डॉ सत्येन्द्र प्रसाद सिंह, डीसीएम निभा कुमारी ने स्वास्थ्य परामर्शियों को फाइलेरिया रोधी दवा खिलाकर अभियान की शुरुआत की।

इस अवसर पर, फाइलेरिया के राज्य कार्यक्रम अधिकारी बिपिन कुमार सिन्हा ने लोगों से फाइलेरिया की दवा खाने की अपील की, जिससे इस रोग से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया रोग से मनुष्य में अपंगता हो जाती है और वह इससे उबर नहीं पाता है। इसलिए यह दवा सभी को खानी चाहिए। दवा खाना ही मात्र इस रोग का एक बचाव है। स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा खिलाने का काम करेगी। उन्होंने कहा कि अभियान में लोगों को दवा देकर टीम नहीं आएगी बल्कि अपने समक्ष दवा खुद खिलाएगी, जिससे शत प्रतिशत लोगों को दवा खिलाई जा सके।

2030 तक फाइलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य

भारत सरकार में वेक्टर बोर्न डिजीज की संयुक्त निदेशक डॉ छवि पंत ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से मिलकर अभियान के बारे में जानकारी ली। इसके बाद उन्होंने फाइलेरिया से बचाव के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने वर्ष 2030 तक फाइलेरिया से उन्मूलन का लक्ष्य रखा है।जबतक जिले में एमएफ रेट एक प्रतिशत नहीं आ जाता तब तक दवा खिलाना है।

इसके साथ ही, हमें कोशिश करनी है कि जिले में दो साल के अन्दर एमएफ रेट एक प्रतिशत पर लाना। इसके बाद ट्रांसमिशन असेसमेंट सर्वे(टास) भी किया जाएगा। टास के जरिए यह पता करना आसान होगा कि किस-किस क्षेत्र में फाइलेरिया का प्रसार खत्म हो चुका है। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार एवं सहयोगी संस्थानों के सहयोग से फाइलेरिया को बिहार से उन्मूलन कर एक नयी मिसाल पेश की जा सकती है। उन्होंने लोगों से अभियान के दौरान मुफ्त में दी जाने वाली फाइलेरिया रोधी दवा खाने की अपील की।

फाइलेरिया से बचाव का एकमात्र उपाय दवा खाना

इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ अखिलेश कुमार मोहन ने कहा कि फाइलेरिया रोग के उन्मूलन हेतु जिले मे कोविड-19 के दिशा-निर्देशों का अनुपालन करते हुए समुदाय को फाइलेरिया या हाथीपांव रोग से बचाने के लिए आज से तीन दवाओं डी.ई.सी, अल्बंडाज़ोल और आइवरमेक्टिन के साथ जिले में आई.डी.ए. कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के दौरान यह सुनिश्चित किया जायेगा कि सभी पात्र लाभार्थी, फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के सामने करें। दवा वितरित न हो भले ही, कार्यकर्ताओं को एक से अधिक बार किसी घर का भ्रमण करना पड़े। जिला और ब्लॉक स्तर पर कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए एवं कार्यक्रम की निगरानी हेतु प्रतिदिन ब्लाक एवं जिला स्तर पर सायकालीन बैठक में कार्यक्रम की समीक्षा की जायेगी और आवश्यकतानुसार जिला और ब्लॉक स्तर पर रैपिड रेस्पोंस टीम भी दवाओं के साथ तैनात रहेगी। आई.डी.ए. कार्यक्रम में जिले के हाथीपांव और हाइड्रोसील के मरीजों को भी सूचीबद्ध किया जायेगा ताकि मोर्बिडिटी मैनेजमेंट एंड डिसएबिलिटी प्रिवेंशन (एम.एम.डी.पी.) के अंतर्गत लिम्फेडेमा और हाइड्रोसील के मरीजों का नि:शुल्क प्रबंधन किया जा सके।

ग्रामीण क्षेत्र में 1729 और शहरी में 121 टीम करेगी गृह भ्रमण

जिला वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल अधिकारी डॉ सत्येन्द्र प्रसाद सिंह ने बताया कि मास ड्रग एडमिनिसट्रेशन (आई.डी.ए.) अभियान के दौरान जिले में 4070668 लोगों को ग्रामीण, जबकि 302101 लोगों को शहरी क्षेत्र में दवा खिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्र में 1729 और शहरी में 121 टीम को लगाया गया है। अभियान के दौरान ग्रामीण क्षेत्र में 594801 घरों और शहरी क्षेत्र के 44143 घरों तक कर्मी भ्रमण करेंगे। इस दौरान वे अपनी निगरानी में दवा खिलाएंगे। दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रोग से ग्रस्त लोगों को दवा नहीं खिलाई जायेगी।

अभियान के लिए 185 पर्यवेक्षक की तैनाती की गई है। वहीं 17 रैपिड रिस्पांस टीम हर परिस्थिति के लिए तैयार किए गए हैं। इस अवसर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के राज्य समन्वयक डॉ राजेश पांडेय, डब्ल्यूएचओ से डॉ माधुरी, चाय से डॉ मानिक, केयर से विकास सिन्हा, केयर के प्रतिनिधि सुमित कुमार, सोमनाथ ओझा, जीएचएस से दीपक मिश्रा, सीफार से रणविजय कुमार, पीसीआई के अशोक सोनी उपस्थित रहे।

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