वाराणसी। राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के तहत गृह आधारित नवजात देखभाल कार्यक्रम (एचबीएनसी) के लिए आशा कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण बुधवार से शुरू हुआ। पांच दिवसीय इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में आशा कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर नवजात की 42 दिनों तक देखभाल करने के हुनर सिखाए जाएंगे। शिवपुर स्थित एएनएम ट्रेनिंग सेंटर में शुरू हुए इस प्रशिक्षण में विभिन्न वार्डों की #आशा_कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि प्रसव के बाद नवजात के बेहतर देखभाल की जरूरत बढ़ जाती है। संस्थागत प्रसव के मामलों में शुरुआती दो दिनों तक मां और नवजात का ख्याल अस्पताल में रखा जाता है लेकिन जन्म के शुरूआती 42 दिन शिशु के लिए अधिक महत्वपूर्ण होते हैं। इस दौरान उचित देखभाल के अभाव में शिशु के मृत्यु की आशंका अधिक होती है।
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ऐसे में ‘होम बेस्ड न्यू बोर्न केयर’ (#एचबीएनसी) यानि गृह आधारित नवजात देखभाल कार्यक्रम काफी कारगर साबित हो रहा है। इस कार्यक्रम के तहत संस्थागत प्रसव एवं गृह प्रसव दोनों स्थितियों में आशा कार्यकर्ता घर जाकर 42 दिनों तक नवजात की देखभाल करती है। उन्होंने बताया कि आशा कार्यकर्ता यह कार्य बेहतर ढंग से कर सकें इसके लिए ही उनको प्रशिक्षित करने का कार्य बुधवार से शुरू किया गया है।
शिवपुर स्थित एएनएम ट्रेनिंग सेंटर में शुरू हुए इस प्रशिक्षण कार्ययक्रम में जिला स्वास्थ्य- शिक्षा एवं सूचना अधिकारी (डीएचईआईओ) हरिवंश यादव ने आशा कार्यकर्ताओं को गृह आधारित नवजात देखभाल कार्यक्रम की विस्तार से जानकारी देते हुए इसके महत्व से उन्हें अवगत कराया। उन्होंने बताया कि नवजात शिशुओं के लिए शुरुआत के 42 दिन किस तरह महत्वपूर्ण होते है और इस दौरान उनकी सही देखभाल करना क्यों जरूरी होता है। समझाया गया कि वह जिस तरह सुरक्षित प्रसव कराने का प्रयास करती हैं उसी तरह घर-घर भ्रमण कर नवजात शिशुओं की उचित देखभाल भी करेंगी।
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प्रशिक्षण के पहले दिन आशा कार्यकताओं को नवजात शिशुओ का तापक्रम देखने, उनका वजन करने के साथ ही हाथ धुलने के तरीके की जानकारी दी गयी। उन्हें बताया गया कि जन्म का पहला मिनट गोल्डेन मिनट क्यों कहा जाता है। साथ ही जन्म लेने के फौरन बाद नवजात को मां का पीला गाढ़ा दूध क्यों पिलाना जरूरी होता है। इस बारे में वह नवजात शिशुओं की माताओं को किस तरह जानकारी देंगी।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में डा. आलोक सिंह ने आशा कार्यकर्ताओं को समझाया कि गृह भ्रमण के दौरान वह बच्चे की मां यह आवश्यक रूप से बतायेंगी कि वह बच्चे को जब भी स्पर्श करें हाथ धो कर ही करें ताकि उसे संक्रमित होने से बचाया जा सके। इसके अलावा बच्चे को हाइपोथर्मिया से बचाने के लिए किस तरह से कपड़े से ढक कर रखना है, इसकी भी जानकारी आशा कार्यकर्ताओं को दी जिससे वह नवजात शिशुओं की माताओं को इस बारे में प्रशिक्षत कर सकें।
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आशा कार्यकर्ताओं को समझाया गया कि नवजात शिशुओं की देखभाल करने के लिए शुरू के 42 दिनों के भीतर उन्हें कुल सात बार गृह भ्रमण करना है। यह दौरा शिशु के जन्म वाले दिन से शुरू होकर तीसरे, सातवें, 14 वें, 21 वें, 28 वें व 42 वें दिन करना होगा। गृह भ्रमण के दौरान वह न सिर्फ नवजात की देखभाल करेंगी बल्कि बल्कि माताओं को भी नवजात की देखभाल के विषय में जानकारी भी देंगी। प्रशिक्षण कार्यक्रम में कृष्णमूर्ति सिंह भी शामिल थे।
प्रशिक्षण के खास बिंदु
•सभी नवजात शिशुओं को अनिवार्य नवजात शिशु देखभाल सुविधा उपलब्ध कराना व जटिलताओं से बचाना
• समय पूर्व जन्म लेने वाले नवजातों एवं जन्म के समय कम वजन वाले बच्चों की शीघ्र पहचान कर उनकी विशेष देखभाल करना
• नवजात शिशु की बीमारी का शीघ्र पता कर समुचित देखभाल करना एवं रेफर करना
• परिवार को आदर्श स्वास्थ्य व्यवहार अपनाने के लिए प्रेरित करना
• मां में अपने नवजात के स्वास्थ्य की सुरक्षा करने का आत्मविश्वास एवं दक्षता को विकसित करना
रिपोर्ट-संजय गुप्ता