आज से लखनऊ का अमौसी एयरपोर्ट का संचालन अडानी ग्रुप करेगा। एयरपोर्ट के प्रबंधन से लेकर वित्तीय मामलों में अडानी ग्रुप के अधिकारी ही फैसले लेंगे। शनिवार को दिल्ली से एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारियों की टीम तैयारियों का जायजा लेने लखनऊ पहुंची थी। अडाणी समूह को 50 सालों के लिए एयरपोर्ट की कमान सौंपी गई है।
निजी हाथों के प्रबंधन को लेकर के कुछ नियम बनाए गए हैं। जैसे कि शुरुआत के 3 सालों में एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया और निजी समूह के बीच समन्वय बनाते हुए यह हस्तांतरण होगा। लखनऊ एयरपोर्ट की बात करें तो पहले साल एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के निदेशक साथ में डेढ़ सौ एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सीनियर एग्जीक्यूटिव और अडानी समूह का प्रबंधन रहेगा। इस प्रबंधन में प्रशासन से लेकर के वित्तीय मामलों की भी फैसले अडानी समूह ही लेगा।
अमौसी एयरपोर्ट पर अर्द्ध सैनिक बल सीआईएसफ (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालता है। एयरपोर्ट प्राइवेट हाथों में जाने के बाद आज से यह भी अडाणी ग्रुप के निर्देश पर काम करेगा। फायर फाइटिंग सिस्टम और इंजीनियरिंग सेवाएं भी समूह के अधिकारी संभालेंगे। एयरपोर्ट पर फिलहाल किसी सुविधा का शुल्क नहीं बढ़ेगा। वहीं, दिल्ली एयरपोर्ट की तर्ज पर यहां भी सुविधाएं बढ़ाने की तैयारी है। इसमें यात्रियों के बैठने से लेकर एसी लाउंज को बेहतर बनाया जाएगा। पिक एंड ड्रॉप को निशुल्क किया जा सकता है।
एयरपोर्ट निदेशक एके शर्मा ने बताया कि एयरपोर्ट के निजी हाथों में जाने से करोड़ों की योजनाओं को गति मिलेगी। इसमें 1400 करोड़ से नए टर्मिनल टी3 का निर्माण होना है। वहीं, आठ एप्रन बन रहे हैं। फायर फाइटिंग सिस्टम अपग्रेड होना है। रनवे का विस्तार 2700 से 3500 मीटर करना है।
कुल मिलाकर के देश के चुनिंदा एयरपोर्ट जो कि निजी हाथों में गए हैं उसमें लखनऊ अब अडानी समूह संभालेगा और इस निजीकरण का विरोध कई मंचों पर हुआ था लेकिन इस बात के लिए केंद्र सरकार ने निजी हाथों में दिया है कि जिससे सरकार का घाटा कम हो ,मूलभूत सुविधाएं अच्छी हो। टर्मिनल्स पर उनको बड़ा करके इसे विकास की गति को बढ़ाया जा सके यात्रियों को सुविधाएं और अच्छे मिल सके। अब देखना होगा कि निजीकरण का यह प्रयोग लखनऊ के लिए और लखनऊ के वासियों के लिए कितना अच्छा होगा इसके लिए समय का इंतजार भी करना होगा।