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खाने वाले तेल का ईंधन के तौर पर इस्तेमाल कर पहली बार विमान ने भरी उड़ान, लंदन से महासागर पार कर पहुंचा

दुनिया में पहली बार एक यात्री विमान खाने वाले तेल को ईंधन के तौर पर इस्तेमाल कर महासागर पार कर एक देश से दूसरे देश पहुंचने में सफल हुआ है। इस विमान के उड़ान भरने का एक वीडियो भी वायरल हुआ है। अरबपति कारोबारी रिचर्ड ब्रैनसन की वर्जिन अटलांटिक के बोइंग-787 ड्रीमलाइनर विमान ने 28 नवंबर को लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट से उड़ान भरी। यह अटलांटिक महासागर को पार कर अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित जेएफके एयरपोर्ट पहुंचा।

बताया गया है कि सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (एसएएफ) का इस्तेमाल कर उड़ान भरने वाले इस विमान में वर्जिन अटलांटिक के संस्थापक सर रिचर्ड ब्रैनसन के अलावा ब्रिटेन के परिवहन मंत्री मौजूद रहे। हालांकि, फ्लाइट में कोई भी आम यात्री नहीं रहा।

क्या है सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल, जिसमें खाने वाले तेल का होता है इस्तेमाल?
सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (एसएएफ) को अक्षय जैवईंधन (रिन्यूएबल बायोमास) और बेकार हुए संसाधनों के जरिए तैयार किया जाता है। इन्हें आधुनिक एयरक्राफ्ट में केरोसीन के साथ मिलाकर जेट के ईंधन के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, ईंधन में इनकी मात्रा अभी 50 फीसदी तक ही सीमित रखी गई है।

इस मौके पर रिचर्ड ब्रैनसन ने कहा कि दुनिया हमेशा यही सोचती है कि यह नहीं किया जा सकता, जबतक उसे कर के न दिखाया जाए। उन्होंने कहा कि नवोन्मेष की आकांक्षाएं अब बाहर जा रही हैं और यह साबित कर रही है कि हम सबकी भलाई के लिए बेहतर चीजें कर सकते हैं।

वर्जिन अटलांटिक की तरफ से विमान के उड़ान भरने का एक वीडियो भी पोस्ट किया गया। इसमें कहा गया, “38,000 फीट पर इतिहास। वर्जिन अटलांटिक इस वक्त दुनिया का पहला 100 फीसदी सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल से उड़ने वाला वाणिज्यिक विमान संचालित कर रहा है।”

क्यों अहम है ये फ्लाइट?
ब्रिटिश सरकार के मुताबिक, वर्जिन अटलांटिक का यह प्रयोग दुनिया में जीवाश्म ईंधन के कम इस्तेमाल और नेट जीरो को हासिल करने में अहम साबित होगा। इससे हवाई यात्रा काफी हद तक पर्यावरण के अनुकूल बनेगी। गौरतलब है कि ब्रिटिश सरकार ने पिछले साल ही एलान किया था कि वह प्रोजेक्ट के लिए 12.6 लाख डॉलर मुहैया करा रही है।

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