रग्बी खिलाड़ी नीलू आर्थिक तंगी से जूझ रही है। पैसे नहीं होने के कारण वह कोच से ट्रेनिंग नहीं ले पा रही है। उसके पास जूते खरीदने के लिए पैसे नही हैं। जबकि वह राष्ट्रीय स्तर की पदक विजेता है। यह कहानी है बिहार, मुजफ्फरपुर के इब्राहिमपुर की नीलू की। नीलू ने पिछले छह सालों के भीतर अपने राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर अपना दमखम दिखाया है।
नीलू बताती है की सरकार हमारी मदद करे और कोच की व्यवस्था करे ताकि हम अपना प्रैक्टिस कर सकें। एक वार नेशनल अवार्ड जीतने पर ग्यारह हजार रुपए का पुरस्कार मिला था उसके बाद सरकार से कोई मदद नहीं मिली। यदि सरकार मदद करेगी तब हम देश के लिए अच्छा प्रदर्शन कर सकेंगे। अभी हम गांव में ही प्रैक्टिस कर सारा प्रदर्शन किए हैं
नीलू ने आगे बताया की हमारे पास जूते नहीं थे। खाली पैर प्रैक्टिस की एक मेडल नंगे पैर जीती हूं। एक उधार का जूता लेकर हम मेडल जीत लाए, पर आज सही डायट तक हमे नही मिल रहा है। हमारे पास अच्छे कोच,अच्छे बूट की कमी है, संसाधन की जरूरत है जिससे हम अच्छा कर सकें।
नीलू खेल के लिए अच्छे पौष्टिक भोजन को आवश्यक बताती है पर उसके नसीब में अच्छा भोजन नहीं है। पांच भाई बहनों में चौथी नंबर पर आनेवाली नीलू के पिता की मौत हो चुकी है। मां गीता देवी खेती कर परिवार चला रही हैं। जब नीलू को बाहर खेलने जाना पड़ता है तब रिश्तेदारों से मदद लेनी पड़ती है। नीलू की मां गीता देवी कहती हैं की उन्हें वृद्धा पेंशन भी नही मिल रहा है। खेती कर किसी तरह पांच बच्चों का पालन पोषण कर रहे हैं सरकार कुछ मदद करे तो दिन सुधार जाए।