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भारत में इस जगह रावण के भय से दशहरा के दिन दहन के स्थान पर होती है पूजा, ये है वजह

शारदीय नवरात्रि का समाप्ति विजयादशमी के साथ होता है. इस दिन दशहरा के मौके पर रावण दहन भी किया जाता है. 9 रात्रि  10 दिन ​के भयंकर युद्ध के उपरांत मां दुर्गा ने महिषसुर का वध किया, 10वें दिन को विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है. वहीं, भगवान श्रीराम ने लंका के राजा रावण का वध भी इसी दिन किया था, जिसके उपलक्ष में दशहरा मनाया जाता है. असत्य पर सत्य की जीत के रूप में दशहरा  विजयादशमी मनाई जाती है. दशहरा के दिन देशभर में रावण, कुंभकर्ण  मेघनाद के पुतले जलाए जाते हैं. उनको बुराई का प्रतीक माना जाता है. इन सबसे इतर देश में कुछ ऐसी भी जगहें हैं, जहां पर दशहरा के दिन रावण दहन नहीं होता है. आइए जानते हैं कि ऐसा क्यों है?

1. बिसरख में नहीं होता है रावण दहन

दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा से 10 किमी दूर एक गांव है बिसरख. बोला जाता है कि इस गांव में ऋषि विश्रवा का जन्म हुआ था. उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करने के​ लिए ​एक शिवलिंग स्थापित की थी. उनके घर ही रावण का जन्म हुआ था.

इस गांव में न रामलीला होती है  न ही दशहरा के दिन रावण का दहन होता है. अपशकुन के कारण यहां के लोग रावण दहन नहीं करते हैं. हालांकि एक मान्यता यह है कि यहां पर जो भी अपनी मुराद लेकर आता है, वह पूरी होती है. यहां वर्ष में दो बार मेला लगता है.

2. मंदसौर में था रावण का ससुराल

मध्यप्रदेश के मंदसौर में रावण का सुसराल था, जिसका असली नाम दशपुर था. रावण का शादी मंदोदरी से हुआ, इस कारण से रावण मंदसौर का दामाद हुआ. दामाद के सम्मान में वहां दशहरा पर रावण दहन नहीं होता है.

3. गढ़चिरौली में रावण की पूजा

महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में आदिवासी समुदाय रावण  उसके बेटे को अपना देवता मानते हैं. फाल्गुन पर्व पर आदिवासी समुदाय रावण की पूजा करते हैं.

4. चिखली में रावण के भय से होती है पूजा

उज्जैन के चिखली गांव में भी दशहरा के दिन रावण का दहन नहीं किया जाता है. ग्रामीणों की मान्यता है कि रावण की पूजा न करने से उनका गांव जल जाएगा. इस कारण से वे रावण की पूजा करते हैं.

5. बैजनाथ में रावण को मिला मोक्ष का वरदान

हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा जिले के बैजनाथ में रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सख्त तप किया था, जिसके परिणाम स्वरूप उसे मोक्ष का वरदान मिला था. इस वजह से यहां रावण का दहन नहीं होता है.

6. मंडोर में रावण के वंशज

जोधपुर के मंडोर में रावण  मंदोदरी का एक मंदिर है. एक समुदाय के लोग खुद को रावण का वंशज मानते हैं  रावण के कुल देवी खरानना की पूजा करते हैं. इस समुदाय के लोग दशहरा को रावण दहन नहीं करते हैं  शोक मनाते हैं.

7. काकिनाड में भगवान शिव के साथ रावण की पूजा

आंध्रप्रदेश के काकिनाड में मछुआरा समुदाय भगवान शिव के साथ लंका के राजा रावण की पूजा करता है. यहां पर रावण का मंदिर भी बना है.

8. कर्नाटक में रावण की पूजा

कर्नाटक के मालवल्ली में रावण का मंदिर है, जहां उसकी पूजा होती है. वहीं कोलार में रावण महोत्सव मनाया जाता है. इसमें रावण की पूजा होती है  भगवान शिव के साथ रावण का भी जुलूस निकाला जाता है. यहां के लोग रावण को भगवान शिव का परम भक्त होने के कारण पूजा करते हैं.

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