नई दिल्ली। भारत और रूस ने 500 मिलियन डॉलर (करीब (3570 करोड़ रुपए) में एक डिफेंस डील फाइनल की है। इसके तहत भारतीय नौसेना के लिए Goa गोवा शिपयार्ड में दो मिसाइल युद्धपोत का निर्माण किया जाएगा। इन डील्स के जरिये भारत ने स्पष्ट संदेश दिया है कि वह अमेरिका द्वारा प्रतिबंधों की चेतावनी को नजरअंदाज कर रहा है।
दरअसल, ट्रंप प्रशासन ने कई रूसी कंपनियों पर प्रतिबंध लगा रखा है। अमेरिका ने कहा है कि जो देश रूस की डिफेंस कंपनियों के साथ डील करेंगे, उन्हें भी CAATSA कानून के तहत प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि रूस से एक के बाद एक डील करने के बाद भी भारत को उम्मीद है कि अमेरिका उसे छूट देगा। बताते चलें कि भारत की रक्षा जरूरतों की सबसे बड़ी आपूर्ति रूस ही करता है।
Goa में तलवार-क्लास के
बहरहाल,डील के बारे में अधिकारियों ने बताया कि Goa गोवा में तलवार-क्लास के युद्धपोत के निर्माण के लिए सरकार से सरकार के बीच यह समझौता हुआ है। इस प्रोजेक्ट के लिए भारत की डिफेंस पब्लिक सेक्टर यूनिट गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) और रूस की प्रमुख सरकारी कंपनी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
इस समझौते के तहत रूस जीएसएल को डिजाइन, टेक्नोलॉजी और अहम सामग्री देगा, जिससे भारत में युद्धपोतों का निर्माण किया जा सके। इन युद्धपोतों में एडवांस मिसाइल और अन्य वेपन सिस्टम (हथियार प्रणाली) लगाई जाएगी। बताया जा रहा है कि ये दोनों युद्धपोत सोनार और रडार की पकड़ में नहीं आएंगे। स्टील्थ टेक्नॉलजी के कारण दुश्मन के इलाके में इन्हें अपने मिशन को पूरा करने में काफी मदद मिलेगी।
जीएसएल के सीएमडी शेखर मित्तल ने बताया कि साल 2020 में शिप्स का निर्माण शुरू होगा और पहला युद्धपोत सेना में शामिल होने के लिए 2026 में बनकर तैयार होगा, जबकि दूसरे के 2027 तक तैयार होने की उम्मीद है।
दोनों देशों के बीच एक अरब डॉलर की एक अन्य डील भी हो चुकी है। इसके तहत रूस 2023 तक भारत को दो फ्रिगेट्स (युद्धपोत) देगा। खास बात यह है कि मंगलवार को रूस के साथ हुई डील, पांच अरब डॉलर में S-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम्स की खरीद को लेकर हुए समझौते पर हस्ताक्षर के 6 हफ्ते बाद हुई है।