कोरोना आपदा ने सामान्य व्यवस्था को व्यापक रूप में प्रभावित किया है। इसके चलते सभी संस्थाओं की कार्य प्रणाली में बदलाव हुआ। इसी के साथ आपद धर्म के रूप में नई जिम्मेदारी भी बढ़ी है। समाज के हित में इन दायित्वों के निर्वाह की आवश्यकता है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल शिक्षण व चिकित्सा शिक्षण संस्थानों को इन नई जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक करती रही है। कोरोना से बचाव हेतु देश व उत्तर प्रदेश में वैक्सिनेशन अभियान चल रहा है।
आनन्दी बेन पटेल इसमें शिक्षण संस्थानों के योगदान को आवश्यक मानती है। पिछले दिनों अनेक विश्वविद्यालयों की समीक्षा बैठक में उन्होंने इसके संबन्ध में निर्देश दिए। इसके अलावा कोरोना के प्रकोप में अनेक बच्चे अनाथ हो गए है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इनके पालन पोषण हेतु योजना लागू की है। इसका क्रियान्वयन चल रहा है। आनन्दी बेन पटेल इसमें भी विश्वविद्यालयों के योगदान को आवश्यक मानती है। अनाथ बच्चों की भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने ही पर्याप्त नहीं है। उनको पारिवारिक स्नेह व माहौल भी मिलना चाहिए। इस क्रम में आनन्दी बेन ने कहा कि विश्वविद्यालय अपने समस्त स्टाफ,छात्र छात्राओं तथा उनके अभिभावकों का शत प्रतिशत वैक्सीनेशन कराये।
इसके साथ ही संस्थान में आने वाले मरीजों के तीमारदारों का भी कैम्प लगाकर वैक्सीनेशन कराने की व्यवस्था करें। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय कोविड के कारण अनाथ हुए बच्चों को गोद लेने का काम करें। उनकी समुचित देखभाल की व्यवस्था भी करें। उन्होंने कोविड कहा कि महामारी के परिप्रेक्ष्य में चिकित्सा विश्वविद्यालयों को ई हास्पिटल पर भी विचार करना चाहिए। आनंदीबेन पटेल ने राजभवन से किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय एवं अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय,लखनऊ की ऑनलाइन समीक्षा बैठक की।
डिजिटल व्यवस्था
राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय में डिग्री और प्रमाण पत्र डिजिटल लाॅकर में रखने की व्यवस्था की जाए। इससे छात्रों को आसानी से डिग्री और प्रमाण पत्र प्राप्त हो सकेंगे। आवासीय परिसर एवं हास्टल में किसी भी दशा में अनाधिकृत व्यक्तियों का निवास नहीं होना चाहिये। नयी शिक्षा नीति के प्राविधानों को तैयार करके यथाशीघ्र लागू किया जाए। इसके साथ ही विश्वविद्यालयों में लम्बित उपाधियों एवं प्रमाण पत्रों को यथा शीघ्र छात्रों के पतों पर भेजना सुनिश्चत करें।
निर्माण व नियुक्ति में पारदर्शिता
आनन्दी बेन पटेल विश्वविद्यालयों की व्यवस्था में पारदर्शिता पर भी जोर देती है। उन्होंने निर्देश दिये कि सभी निर्माण कार्यों का नियमित अनुश्रवण किया जाय। इसके लिए एक समिति का गठन होना चाहिए। जो सभी निर्माण कार्यों की गुणवत्ता एवं समयबद्धता की निगरानी करे तथा कुलपति भी समय-समय पर कार्यदायी संस्था के कायों की समीक्षा भी अनिवार्य रूप से करें। हर महीने के निर्माण कार्य की प्रगति रिपोर्ट राजभवन को भेजें। कार्यदायी एजेंसियां समय पर निर्माण कार्य को पूर्ण करें। इसमें किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी।
इसी प्रकार विश्वविद्यालय में रिक्त पदों के लिये निर्धारित नियुक्ति नियमावली का पालन करते हुये रोस्टर के अनुसार पारदर्शी प्रक्रिया अपनाते हुये नियुक्ति प्रक्रिया पूर्ण की जाए तथा भर्ती विज्ञापनों में भी स्पष्ट रूप से नियुक्ति प्रक्रिया की शर्तों का उल्लेख किया जाय।