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मिड डे मील में शामिल होकर बच्चों को सेहतमंद बनाएगी सुनहरी शकरकंद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चर्चा के बाद सुर्खियों में आयी सुनहरी शकरकंद में पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा है. इसे मिड डे मिल योजना में शामिल करने की बात चल रही है. अगर ऐसा हुआ तो नौनिहाल न सिर्फ शरीर से पुष्ट होंगे बल्कि इनका स्वास्थ्य भी उत्तम रहेगा. दिमाग तेज होने से इनकी पढ़ाई भी चल पड़ेगी. सीएम सिटी (गोरखपुर) में फरवरी के तीसरे हफ्ते में तीन दिन आयोजित होने वाले सुनहरी शकरकंद महोत्सव में इसकी पृष्ठभूमि तैयार होगी. ऐसा हुआ तो यह आयोजन के साथ सुनहरी शकरकंद की खेती करने वाले किसानों के लिए बड़ी उपलब्धि होगी.

दरअसल सुनहरी के पौष्टिकता के मद्देनजर आंगनबाड़ी के हॉट कुक्ड योजना और परिषदीय स्कूलों के मिड डे मील योजना में इसे शामिल करने का प्रस्ताव भी शासन को महोत्सव के दौरान भेजा जाएगा. मालूम हो कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुसार झांसी के स्ट्राबेरी महोत्सव की तर्ज पर गोरखपुर में भी तीन दिवसीय सुनहरी शकरकंद महोत्सव का आयोजन होना है. इसकी संभावित तिथि 19 से 21 फरवरी है.

चूंकि कार्यक्रम सीएम सिटी में होना है, लिहाजा आयोजकों की दिली इच्छा है कि इसका उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करें. ऐसे में उनकी उपलब्धता के अनुसार आयोजन की तिथि की अंतिम घोषणा की जाएगी. हाल के दिनों में आयोजन की तैयारियों को लेकर दो बैठकें हो चुकी हैं. चंद रोज पहले अपर मुख्य सचिव उद्यान मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में कार्यक्रम के स्वरूप में विस्तृत चर्चा हुई. इसमें निदेशक उद्यान डॉ. आर के तोमर के अलावा झांसी में स्ट्राबेरी का सफल आयोजन कराने वाले गौरव गर्ग और अन्य लोग मौजूद थे.

मौके पर कार्यक्रम का स्वरूप क्या होगा, इस बाबत एक बैठक 29 जनवरी को गोरखपुर के एनेक्सी भवन के सभागार में हुई. तय हुआ कि महोत्सव का मुख्य आयोजन वहां के होटल रैडिसन में होगा. इस दौरान जिले के तकरीबन 40 प्रमुख होटल्स और रेस्टोरेंट में सुनहरी के व्यंजनों को स्टार्टर, मेन कोर्स और डेजर्ट के रूप में परोसा जाएगा.

लोग सुनहरी के पोषक तत्व, इसकी खेती के उन्नत तरीके, बाजार और बनने वाले व्यंजनों के बारे में जानें, इस बाबत गोष्ठी भी होगी. इसमें विशेषज्ञों के साथ इसकी खेती करने वाले किसान भी अपनी बात रखेंगे. मकसद यह है कि लोग सुनहरी की खुबियों को जानें. इसकी मांग निकले और किसान इसकी खेती के लिए प्रेरित हों. मांग निकलने पर इसकी खेती करने वाले किसानों को उपज का वाजिब दाम मिलेगा. इससे उनकी आय भी बढ़ेगी.

मालूम हो कि सुनहरी शकरकंद गंजी की ही एक प्रजाति है. आम शकरंकद और इसमें फर्क यह है कि काटने पर इसका गूदा गोल्डेन रंग का होता है. ऐसा इसमें उपलब्ध बीटा कैरोटीन की प्रचुर मात्रा के कारण होता है. मूल रूप से यह केन्या में पाई जाती है. गोरखपुर समेत पूर्वांचल और झारखंड के कृषि जलवायु क्षेत्र में इसकी खेती को प्रोत्साहन देने में गोरखपुर के कृषि वैज्ञानिक डॉ आरसी चौधरी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. 100 ग्राम सुनहरी शकरकंद में बीटा कैरोटिन की मात्रा लगभग 20 ग्राम होती है. यह किसी व्यक्ति के लिए हफ्ते भर के लिए जरूरी विटामिन-ए की आपूर्ति कर देता है. इसमें मिलने वाला एंटी आक्सीडेंट यकृत और कैंसर जैसे रोगों की रोकथाम में मददगार है.

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