लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष मनजीत सिंह ने किसानों की समस्याओं को लेकर सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखा पत्र। उन्होंने पत्र के माध्यम से किसानों का दर्द बयां करते हुये कहा कि मौसम के बदले हुुये चक्र के कारण प्रदेश के सभी जनपदों विशेषकर तराई क्षेत्र में नेपाल से आने वाली नदियों के अत्यधिक जलप्रवाह होने के कारण खरीफ की फसल नष्ट हो गई है। धान व गन्ने के अतिरिक्त सब्जियों की फसल भी नष्ट हो गई है। धान के खेतों में पानी भरा हुआ है व फसल डूब जाने के कारण धान का रंग काला, पीला व भूरा पड़ गया है। विगत गेहूं की कमजोर फसल के कारण आर्थिक संकट से जूझ रहा किसान इस प्राकृतिक आपदा से और अधिक टूट गया है। जिसका प्रभाव प्रदेश व देश की आर्थिक अर्थव्यवस्था पर निश्चित रूप से विपरीत प्रभावी होगा।
पत्र का हवाला देते हुये मनजीत सिंह ने कहा कि किसानों की फसल डूब जाने के कारण धान से निकलने वाला चावल अत्यधिक क्षतिग्रस्त, बदरंग व पीला हो गया है तथा इसमें टूटन की मात्रा भी बहुत अधिक हो गई है। व्यवहारिक रूप से इस क्षतिग्रस्त धान से भा.खा.नि. के माप दंड का चावल बनना ही सभव नहीं है। प्रदेश सरकार द्वारा किसान को मूल्य समर्थन योजना के अन्तर्गत स्थापित किये जा रहे है ग्राामीण क्षेत्रों में फसल तो नष्ट हुई है भारी संख्या में मकान क्षतिग्रस्त हुये है तथा मकान गिरने व आकाशीय बिजली गिरने के कारण जनहानि की सूचनायें भी समस्त प्रदेश से प्राप्त हो रही है।
श्री सिंह पत्र में मांग की कि समस्त प्रदेश में अतिवर्षा के कारण हुये किसानों के नुकसान का सर्वेक्षण व आंकलन कराया जाये तथा फसल नष्ट हो जाने के कारण आर्थिक संकट में पडे़ किसानों को प्रति एकड़ 30 हजार रूपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाय, प्रदेश के किसानों व व्यापारियों से होने वाली सभी सरकारी, बैंक, विद्युत व अन्य वसूली तत्काल प्रभाव से बंद की जाय, सारे प्रदेश का धान क्षतिग्रस्त हो गया है।
उत्तराखण्ड की भांति उप्र में भी इस क्षतिग्रस्त धान को बिना किसी गुणवत्ता मापदण्ड के क्रय किया जाय और इसके भण्डारण हेतु प्रदेश सरकार की किसी एजेन्सी को दायित्व सौंपा जाय ताकि इससे बनने चावल लोकहितकारी योजनाओं में वितरण हेतु उपलब्ध हो सके, भारी बारिस के कारण प्रदेश की शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों की कोलतार सड़के क्षतिग्रस्त हो गई हैं। किन्तु इस हेतु उपलब्ध कराये गये वित्तीय ससाधन आवश्यकता की दृष्टि से कम है तथा इस कार्य में विशेष देख रेख की आवश्यकता भी है।
श्री सिंह ने आगे कहा कि जनपद पीलीभीत से होकर गुजरने वाली तथा नेपाल से प्रारम्भ होने वाली शारदा नदीं जो बहराइच में घाघरा नदी के नाम से वर्णित है इस नदीं में नेपाल से आने वाला प्रवाह प्रत्येक वर्ष पीलीभीत, लखीमपुर, बहराइच जिलों में भारी नुकसान पहुंचाता हैं। यह समस्या विगत 75 वर्षो से चल रही है तथा इस नदी के किनारे बसे हुये गांव व नगर बाढ़ के कारण भारी तबाही का सामना करते हैं। इन नदियों के किनारे की हजारों एकड़ फसल प्रति वर्ष पानी में डूबकर नष्ट हो जाती है इस नदीं के किनारे बांध, पुल व पानी का प्रवाह रोकने हेतु उपायों का तत्काल व्यापक सर्वेक्षण कराने और इसकी विस्तृत कार्य योजना बनाकर प्रदेश व केन्द्र सरकार के माध्यम से लागू करने की कृपा करें ताकि इस क्षेत्र के लाखों किसानों को प्रत्येक वर्ष हो रही जन व धन हाानि से मुक्ति मिल सकें।