भ्रष्टाचार के खिलाफ मोदी सरकार सख्त रवैया अपनाए हुए है. इसका ताजा उदाहरण आज फिर देखने को मिला. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने अपने ही विभाग के 15 वरिष्ठ अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत्त कर दिया है, जिन अधिकारियों को जबरन रिटायरमेंट दी गई है उनमें प्रधान आयुक्त, आयुक्त, कनिष्ठ आयुक्त, अतिरिक्त आयुक्त और सहायक आयुक्त जैसे अधिकारी शामिल हैं. मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक जिन्हें जबरन रिटायरमेंट दी गई उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं.
इन अफसरों को फंडामेंटल रूल के तहत सार्वजनिक हित में कार्यमुक्त कर दिया गया है. इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है. इससे पहले 26 अगस्त को भी विभाग ने करप्शन के आरोपों में 22 सीनियर अफसरों को जबरन रिटायरमेंट दे दिया था. दरअसल केंद्र सरकार ने सभी केंद्रीय संस्थानों से इस बारे में मासिक रिपोर्ट मंगाना शुरू कर दिया है. सरकार के जरिए ऐसे अधिकारियों को अनिवार्य रिटायरमेंट दी जा सकती है. ऐसा करने के पीछे सरकार का मकसद नॉन-फॉर्मिंग सरकारी सेवक को रिटायर करना होता है.