राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने कृषि क्षेत्र में सर्वांगीण विकास पर बल दिया है। इसमें आधुनिक तकनीक के प्रयोग के साथ ही जैविक कृषि का भी समावेश करना आवश्यक है। जिससे कृषि लागत में कमी हो,तथा किसानों की आमदनी बढ़े। सिंचाई की व्यवस्था में भी जागरूकता होनी चाहिए। जिससे कम पानी से भी अधिक उत्पादन करना संभव हो सके। इसी के दृष्टिगत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मृदा परीक्षण व आवश्यकता के अनुसार ही खाद व पानी के प्रयोग का अभियान चलाया है। करोड़ों किसान इससे लाभान्वित हो रहे है।
आनन्दी बेन ने कहा कि कृषि देश की अर्थव्यवस्था का मूल आधार है। कोरोना जैसी महामारी के दौर में भी कृषि क्षेत्र ने भारतीय अर्थव्यवस्था को सकारात्मक वृद्धि के साथ मजबूती प्रदान की। भारवितीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था पूरी तरह से खेती पर निर्भर है। बढ़ती जनसंख्या के दबाव तथा गैर कृषि कार्यों में भूमि के बढ़ते उपयोग के परिप्रेक्ष्य में कृषि के सर्वांगीण कास को प्राथमिकता देना आवश्यक होगा।
अर्थव्यवस्था में कृषि योगदान
राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने राजभवन से कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय बांदा के छठे दीक्षान्त समारोह को वर्चुअल रूप से सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि बदलती हुई विश्व अर्थव्यवस्था, बढ़ती जनसंख्या, प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन,कृषि योग्य भूमि की कमी, कृषि उत्पादों की स्थिर व निम्न उत्पादकता आदि कठिन चुनौतियाँ देश के समक्ष हैं। इसलिये कृषि विश्वविद्यालयों को इन सभी चुनौतियों से निबटने हेतु कार्य योजना तैयार करनी चाहिये, जिससे विश्वविद्यालय वैश्विक स्तर पर अपनी बेहतर पहचान बना सके।
पर ड्राॅप मोर क्राॅप
आनंदीबेन पटेल ने कहा कि बढ़ती माँग और आपूर्ति के दृष्टिगत पूरे विश्व में पानी को सबसे महत्वपूर्ण संसाधन माना गया है। बुन्देलखण्ड में पानी की उपलब्धता अपेक्षाकृत कम है। गिरते भूजल स्तर के दृष्टिगत बुन्देलखण्ड में वर्षा जल संचयन किया जाना अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की प्रेरणा से हर एक को स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने और हर खेत तक सिंचाई का पानी पहुंचाने के साथ पर ड्राॅप मोर क्राॅप जैसे अभियान शुरू किए गए हैं। गांव का पानी गांव में जैसे नारे जल संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है। बरसात के पानी के संरक्षण को लेकर बढ़ी जागरूकता के कारण आज देश के कई हिस्सों में भूजल का स्तर ऊपर आने लगा है। उन्होंने कहा कि जल संसाधन मंत्रालय ने ‘कैच द रैन’ को जो अभियान शुरू किया है,उसमें सभी लोग बढ़ चढ़कर सहभाग करना चाहिए।
महिला सशक्तिकरण
आनन्दी बेन महिला सशक्तिकरण के प्रति भी लोगों को जागरूक करती है। ऐसा नहीं है कि केवल शिक्षित महिलाएं ही स्वावलंबी होती है। कृषि क्षेत्र में भी महिलाओं का योगदान कम नहीं होता। यह भी एक प्रकार का स्वावलंबन है। राज्यपाल ने कहा कि भारत में महिलायें कृषि से संबंधित अधिकांश कार्यों में पूर्ण सहयोग करती हैं। कृषि विश्वविद्यालय अपने कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं के कौशल विकास पर ध्यान दें। ग्रामीण महिलाएं जितनी अधिक शिक्षित व स्वावलम्बी होंगी,ग्रामों का विकास उतनी ही अधिक तीव्र गति से होगा। राज्यपाल ने विश्वास व्यक्त करते हुए कि सभी विद्यार्थी हर कदम पर चुनौतियों का सामना करते हुये एक आत्मविश्वासी नागरिक बनकर उभरेंगे। अनुशासन,परिश्रम, ईमानदारी एवं जिम्मेदारियों के पथ पर चलकर देश के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में सशक्त भूमिका निभायेंगे। उन्होंने कहा कि उपाधि प्राप्त विद्यार्थी गरीब बच्चों को स्वच्छता, पोषण एवं साक्षर होने के लिए जरूर प्रोत्साहित करें। इसके साथ ही आस पास पौधारोपण कर हरियाली को विकसित करें जिससे पर्यावरण सुरक्षित हो सके।