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राज्यपाल ने बताई एकात्म मानववाद की प्रासंगिकता

डॉ दिलीप अग्निहोत्री

राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने दीनदयाल उपाध्याय के चिंतन का व्यापक व सारगर्भित उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि उनके विचार भारत ही नहीं दुनिया के लिए आज भी प्रासंगिक है। इन पर अमल से अनेक समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। राज्यपाल ने कहा कि दीनदयाल जी ने दुनिया के समक्ष उपस्थित चुनौतियों से लड़ने के लिये जिस तत्व चिन्तन को प्रस्तुत किया, उसे एकात्म मानवदर्शन के रूप में जाना जाता है। देश की आर्थिक समस्याओं पर उन्होंने गहन चिन्तन किया था। इसीलिए उनका मानवतावादी दर्शन समस्त मानव मात्र के लिये कल्याणकारी था। उन्होंने ममता,समता और बन्धुत्व की भावना को प्रतिष्ठापित करने के लिये एकात्म मानववाद का दर्शन प्रस्तुत किया। आनंदीबेन पटेल ने  दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में स्थापित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ द्वारा आयोजित पण्डित दीनदयाल जी का एकात्म मानवदर्शन: सतत् विकास का व्यवहार्य मार्ग’ विषयक त्रिदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का वर्चुअल शुभारंभ किया।

राष्ट्र की सर्वोच्चता का विचार

दीनदयाल उपाध्याय ने राष्ट्र को सर्वोपरि माना। उनका जीवन दर्शन इसी पर आधारित था। राज्यपाल ने कहा कि भारतीय संस्कृति एवं परम्परा के प्रतीक, राजनीति के पुरोधा थे। वह बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। लक्ष्य अंत्योदय- प्रण अंत्योदय पंथ अंत्योदय एकात्म मानववाद के प्रणेता थे। वह देश के उन महान सपूतों में थे,जिन्होंने देश और समाज की सेवा करते हुए अपना सारा जीवन राष्ट्र के चरणों में अर्पित कर दिया। पं दीनदयाल उपाध्याय सामान्य व्यक्ति, सक्रिय कार्यकर्ता,कुशल संगठक और मौलिक विचारक के साथ साथ समाजशास्त्री,अर्थशास्त्री एवं दार्शनिक भी थे। एकात्म मानववाद व अंत्योदय के विचारों से उन्होंने देश को एक प्रगतिशील विचारधारा देने का काम किया। उनका सामाजिक जीवन समरसता व राष्ट्रभक्ति का अनुपम उदाहरण है।

अंत्योदय का अभियान

आनंदीबेन पटेल ने कहा कि राष्ट्रहित,चिन्तन, उच्च विचार,मानवीय मूल्य और सादगी सभी एक साथ पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के व्यक्तित्व में जीवन्त रूप में देखने को मिलते थे। वे मानव ही नहीं, बल्कि मानव से बहुत ऊंचे थे। वे समाज में समता,ममता,बंधुत्व के प्रेरक और गरीबों के प्रति समर्पित थे। राष्ट्र के लिये समर्पित एक निष्काम कर्मयोगी के रूप में उनका जीवन उच्च आदर्शों और सादगी का अभूतपूर्व उदाहरण था। दीनदयाल जी का मानना था कि शिक्षा और विचार धाराओं के द्वारा प्रत्येक व्यक्ति को समाजनिष्ठ बनाया जाये। इसके मूल में अंत्योदय का विचार है। वर्तमान सरकार इसी भावभूमि पर अंत्योदय अभियान का संचालन कर रही है। गरीबों वंचितों का जीवन स्तर ऊंचा किया जा रहा है। इसके दृष्टिगत अनेक योजनाओं का क्रियान्वयन चल रहा है।

आत्मनिर्भर भारत

राज्यपाल ने बताया प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी भी पंडित दीनदयाल उपाध्याय के चिन्तन एवं मनन से बहुत प्रभावित हैं। वे देश के विकास में पंडित जी के सपनों को आधार बनाकर ही किसानों,श्रमिकों, युवाओं,महिलाओं सहित सभी वर्ग के लिये कार्य कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने स्वयं एक बार अपने उद्बोधन में इस बात का जिक्र किया था कि इक्कीसवीं सदी के भारत को विश्व पटल पर नई ऊंचाई देने के लिए एक सौ तीस करोड़ से अधिक भारतीयों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए,आज जो कुछ भी हो रहा है। उसमें पंडित दीनदयाल जी जैसे महान व्यक्तित्व का बहुत बड़ा आशीर्वाद है।प.दीनदयाल उपाध्यय आत्मनिर्भर भारत का निर्माण चाहते थे। इसके लिए उन्होंने समग्र विकास का आर्थिक चिंतन प्रस्तुत किया था। इसमें कृषि व गांवों के विकास पर बल था। इसमें अंत्योदय का विचार समाहित था। आनंदीबेन पटेल ने कहा कि देश के आर्थिक विकास का आधार खेती है। इसीलिये किसानों को आत्मनिर्भर बनाना होगा। क्योंकि खेती से ही उद्योग आगे बढ़ेंगे, जिनके उत्पाद बाजार में आने से लोगों की जरूरत पूरी होगी तथा राजस्व भी प्राप्त होगा। देश के किसानों का आत्मनिर्भर होना आवश्यक है।

राज्यपाल ने बताया कि पंडितजी ने हर खेत को पानी और हर हाथ को काम का विचार विचार दिया था। क्योंकि भारत कृषि प्रधान देश है। उन्नत खेती के लिए गम्भीरता से प्रयास करने की आवश्यकता थी। लाभप्रद कृषि के लिए भंडारण बाजार की उचित व्यवस्था आवश्यक है। यदि पहले से ऐसी व्यवस्था होती तो गांव से शहर की ओर इतना पलायन ना होता। बड़ी संख्या में युवा कृषि कार्य में लगे होते। उन्होंने बताया कि कृषकों को आत्मनिर्भर एवं स्वावलम्बी बनाने की दिशा में भारत सरकार ने 2024-25 तक दस हजार किसान उत्पादक संगठन तथा उत्तर प्रदेश सरकार ने इस अवधि में दो हजार पांच सौ किसान उत्पादक संगठनों के सृजन का संकल्प लिया है।

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