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कृषि व पशुपालन पर राज्यपाल के सुझाव

राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने कृषि व पशुपालन के बीच समन्वय का सुझाव दिया है। उन्होने कहा कि ऐसा करने से किसानों की आय में वृद्धि होगी।भारत जैसे कृृषि प्रधान देश में पशुपालन एक अहम आजीविका का स्रोत है। पशु धन क्षेत्र में निरन्तर प्रगति ने भारत को दुनिया भर में सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बनाया है।

राष्ट्र के विकास हेतु दुग्ध प्रसंस्करण क्षमता को वर्ष 2025 तक दोगुना करने एवं पशुओं को रोगमुक्त करने का लक्ष्य हैै। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए पशु विशेषज्ञों को किसानों एवं पशुपालको के बीच समन्वय में सहयोग देना चाहिए। कुलाधिपति के रूप में आनंदीबेन पटेल ने पं दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंधान मथुरा के दसवें दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित किया।

विद्यर्थियों को प्रेरणा

राज्यपाल ने विद्यार्थियों युवाओं को राष्ट्र की प्रगति में योगदान की प्रेरणा दी। कहा कि समाज में प्रचलित कुरीतियों एवं कुप्रथाओं को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायें। युवा देश को अग्रेतर ऊचाँइयों तक पहुंचाने में योगदान करें। छात्र का दायित्व है कि वे अपने कर्तव्यों का पालन कर्मनिष्ठा से करें।

राज्यपाल ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि हर कदम पर चुनौतियों का सामना करते हुए आप एक आत्म विश्वासी नागरिक बनकर उभरेंगे तथा अनुशासन, परिश्रम,ईमानदारी एवं जिम्मेदारियों के पथ पर चलकर आप देश के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में एक सशक्त माध्यम बनेंगे। उन्होंने कामना व्यक्त करते हुए कहा कि आप गरीब बच्चों को स्वच्छता, पोषण एवं साक्षर होने के लिए जरूर प्रोत्साहित करें।

किसानों का हित

आनन्दी बेन ने कहा कि यह विश्वविद्यालय किसानों एवं पशुपालकों की सामाजिक आर्थिक स्थिति में निरंतर सुधार हेतु संकल्पित हैं। कृषि के साथ बागवानी,मिट्टी के उपचार एवं शोधन तथा पशुपालन संबंधी नवीनतम् जानकारी प्रदान कर उत्पादन क्षमता की बढ़ोत्तरी के बारे में विभिन्न प्रशिक्षणों कृृषक भ्रमण कार्यक्रमों, कृृषि एवं पशुपालन मेला तथा प्रदर्शनी के द्वारा किसानों व पशुपालकों को जानकारी प्रदान कर रहा है। दुधारू पशुओं में होने वाली बीमारी का निदान आधुुनिक युग में न केवल वैज्ञानिक तरीकों से करने की आवश्यकता है बल्कि दुग्ध उत्पादन एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए हर्बल पौधों का प्रयोग भी जरूरी है।

पशुपालन के लाभ

राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा न केवल गाय अपितु भैंस, भेंड,बकरी आदि की अच्छी नस्लोें के बीच प्रतियोगिता का आयोजन समय समय पर किया जायें एवं मेले या स्टाॅल के माध्यम से प्रदर्शन कर विकसित पशुपालन एवं कृृषि को बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय भूमिहीन, लघु एवं सीमान्त किसानों पर अपनी दृृष्टि केन्द्रित करे एवं उनके लिए ऐसी तकनीक विकसित करे जो किसानों एवं पशुपालकों की लागत को कम एवं आय बढ़ाने में सहायक हो।

इसके अलावा मत्स्य पालन एवं कुक्कुट पालन आदि के विषय में भी संचार के माध्यम से भी किसानों को जागरूक करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि निजी निवेश के माध्यम से पशुपालन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करनी होगी तथा ग्रामीण महिलाओं को भी रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकेंगें। यह महिला सशक्तीकरण व देश के समग्र विकास में सहायक सिद्ध होगा।

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