•गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. एस.पी सिंह ने की कार्यक्रम की शुरुआत
•गैर संचारी रोगों के नियंत्रण पर होगा विशेष जोर
•आशा, जीविका समूह के सदस्यों के परिवार के लोगों की हाइपरटेंशन, डायबिटीज व कैंसर बीमारी की करेंगी स्क्रीनिंग
•जिले में चार लाख जीविका सदस्य के परिवारों के लोगों की स्क्रीनिंग करने का निर्धारित किया गया लक्ष्य
मधुबनी। जिले में आशा की नॉन कम्युनिकेबल डिजीज (गैर संचारी रोगों) पर नजर रखने की जिम्मेदारी होगी। आशा कार्यकर्ता के अधीन जिले में कार्यरत जीविका के संकुल क्षेत्र संघ (क्लस्टर फेडरेशन) के क्षेत्र में आयोजित कैंप पर प्रत्येक सोमवार, बृहस्पतिवार एवं शनिवार को संबंधित यूपीएचसी, एपीएचसी, एएचसी पर कार्यरत आशा, एएनएम स्टाफ, नर्स, सीएचओ, चिकित्सा पदाधिकारी एवं डाटा एंट्री ऑपरेटर आदि कर्मियों की एक टीम द्वारा सभी आवश्यक उपकरणों एवं सामग्रियों के साथ उपस्थित होकर लोगों की गैर संचारी रोग से संबंधित बीमारियों की स्क्रीनिंग की जाएगी। कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए जिले के रहिका प्रखंड में गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ एसपी सिंह ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। डॉ सिंह ने बताया आशा कार्यकर्ता यूपीएचसी एपीएचसी एवं एचएससी के अंतर्गत कार्यक्षेत्र में ग्रामीण विकास विभाग बिहार सरकार के अंतर्गत जिला स्तरीय जीविका दीदी एवं स्वयं सहायता समूह के प्रत्येक सदस्य एवं उनके घरों में रहने वाले प्रत्येक परिवारों का फैमिली फोल्डर एवं परिवार के 30 वर्ष से अधिक आयु के सभी व्यक्तियों की सी बैक फॉर्म भरेगी।
एनपीसीडीएस (कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम ) के अंतर्गत पॉपुलेशन बेस्ड मास स्क्रीनिंग फॉर एनसीडी के तहत 30 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के जिले के 4,06,207 व्यक्तियों की एनसीडी स्क्रीनिंग निर्धारित की गयी है। कार्यक्रम के तहत कैंसर, मधुमेह, हृदयवाहिका रोग और लकवा आदि के मरीजों की लक्षणों व सामान्य जांच के आधार पर ऐसे मरीजों को चिह्नित करेंगी। गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को स्वास्थ्य केंद्रों पर पहुंचाकर इलाज में मदद करेंगी। ताकि नियत समय पर ऐसे मरीजों को अस्पताल में भर्ती कर इलाज हो सकेगा। गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. एस. पी. सिंह ने बताया कि सामान्य भाषा में ऐसा रोग जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है, गैर संचारी रोग कहलाता है। ऐसे गैर संचारी पांच रोगों की पहचान और रोकथाम के लिए आशा ,जीविका दीदी काम करेंगी। इन रोगों में मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मुंह का कैंसर, स्तन कैंसर, बच्चेदानी के मुंह का कैंसर शामिल हैं। ये सभी रोग खान-पान तथा रहन सहन के स्तर पर निर्धारित होते हैं।
आशा दीदी को दिया जाएगा प्रशिक्षण : डॉ. सिंह ने बताया रोगों की पहचान व इलाज में मदद कराने के लिए आशा दीदी को प्रशिक्षण दिया गया है। आशा अपने क्षेत्र के 30 की उम्र पार कर रहे स्त्री व पुरुषों के सी बैक फार्म व फैमिली फोल्डर फार्म भरेंगी। वेलनेस सेंटर पर कार्यरत एएनएम फार्म को एनसीडी एप्लीकेशन पर अपलोड करेंगी। बीमारी की पुष्टि होने पर पीड़ित को हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर लाकर इलाज शुरू किया जाएगा। प्रबंधक ने बताया जीविका के माध्यम से अब हम लोग हर घर तक पहुंच और लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। जीविका का कार्यक्रम के तहत समन्वय एक सराहनीय कदम है। इसके लिए मजबूत माइक्रो प्लान बनाने की जरूरत है ताकि जहां पर आप कब कार्यक्रम ऑर्गेनाइज करना चाह रहे। उसका माइक्रो प्लान करना आवश्यक है । साथ ही कार्यक्रम का नियमित पोर्टल पर एंट्री किया जाना चाहिए।
कुल छह बिदुओं पर ली जाएगी जानकारी : अभियान को सफल बनाने के लिए सभी आशा को सी-बैक फॉर्म उपलब्ध कराया जाएगा। अपने-अपने क्षेत्रों में आशा जीविका दीदी के घर में जाकर लोगों से पूछताछ करेंगी और चिह्नित रोगों के बारे में जानकारी लेकर फॉर्मेट में भरेगी। भरे हुए फॉर्मेट की सहायता से एएनएम टैबलेट के जरिए जानकारियों को एनसीडी एप पर अपलोड करेगी। मरीजों से कुल 6 बिदुओं पर जानकारी ली जाएगी। जीविका दीदी द्वारा स्क्रीनिंग किए गए मरीजों को सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर इलाज के लिए प्रेरित किया जाएगा। कार्यक्रम में मेडिकल ऑफिसर,जीविका बीपीएम व एमवाईसी, प्रखंड स्वास्थ्य, एनएम उपस्थित थे।