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स्वास्थ्य आजीविका और अर्थव्यवस्था

राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल जैविक कृषि,मोटे अनाज के महत्व
सुपोषण जागरूकता आदि के प्रति लोगों को जागरूक करती रही है। एक बार फिर उन्होंने कहा स्वास्थ्य और भोजन के बीच अटूट संबन्ध है। इसलिए आहार के प्रति सचेत रहना चाहिए। जीवन को स्वस्थ्य रखने में फल एवं सब्जियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। फलों और सब्जियों के नियमित सेवन से मानव स्वास्थ्य और शरीर की आन्तरिक प्रणाली मजबूत होती ही है। पाचन शक्ति भी बढ़ती है। जो पोषण प्रदान करने के अतिरिक्त अनेक रोगों से बचाने में सहायक होती है।

बागवानी का महत्व

आनन्दी बेन किसानों की आय दो गुनी करने के संबन्ध में भी उपयोगी सुझाव देती रही है। उन्होंने कहा कि बागवानी फसलों का कृषि एवं संवर्गीय क्षेत्र के सकल घरेलू उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान है। बढ़ती मांग तथा कृषि में महत्वपूर्ण योगदान के कारण ही बागवानी फसलें प्राथमिकता का क्षेत्र बन रही हैं। बागवानी फसलों में जैविक उत्पादकता और पोषण मानकों में सुधार के अलावा लाभ प्रदाता बढ़ाने की भी काफी संभावनाएं हैं। प्राकृतिक खेती तथा गौ आधारित खेती को बढ़ावा देना होगा। आनंदीबेन पटेल ने राजभवन से चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कानपुर तथा भारतीय उद्यान विज्ञान अकादमी,नई दिल्ली द्वारा भारतीय बागवानी कांग्रेस: स्वास्थ्य आजीविका और अर्थव्यवस्था के लिए बागवानी विषय पर आयोजित वेबिनार को सम्बोधित किया।

कृषि में तकनीक

राज्यपाल ने कहा कि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित नवीन कृषि तकनीक को त्वरित गति से किसानों तक पहुँचाने में कृषि प्रसार की महत्वपूर्ण भूमिका है। विश्वविद्यालय किसानों को उद्यान,शाकभाजी, फूल,मसाला,औषधीय व सुगंधित फसलों के गुणवत्ता युक्त बीज तथा सही तकनीकी समय से पहुंचाएं। वैज्ञानिक शोध कार्य करके उनकी उन्नतशील प्रजातियों विकसित करें तथा इनके मूल्य सम्बर्द्धित सस्ते उत्पाद तैयार किये जायें, जिससे कि विशेषकर महिलाओं एवं बच्चों को कुपोषण का शिकार होने से बचाया जा सके।

खाद्य प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन

किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में अनेक प्रयासों का महत्व है। राज्यपाल ने कहा कि कृषि व्यवसाय प्रबन्धन, व्यापार एवं किसानों के उत्पादों को उचित मूल्य एवं खाद्य प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। बढ़ती गर्मी का भी औद्यानिक फसलों की उत्पादकता में प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इन प्रतिकूल प्रभावों से बचने के लिए विषम जलवायु परिस्थितियों का मुकाबला कर सकने वाली क्लाइमेट स्मार्ट किस्मों एवं सस्य तकनीकियों का विकास वैज्ञानिकों को करना होगा।

राज्यपाल ने अपील की कि वैज्ञानिक स्वास्थ्य और वातावरण की समस्याओं के निवारण हेतु बेहतर शोध तथा पारदर्शी नियामक व्यवस्था लाने की दिशा में प्रयास करें, जिससे जैव प्रौद्योगिकी द्वारा विकसित फसलों का उपयोग किसान कर सकें।

प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन से पर्यावरण संतुलन बिगड़ा है, जिसके कारण मानव समाज को अनेक आपदाओं का सामना करना पड़ रहा हैं। हम सभी को पर्यावरण को संरक्षित, संवर्धित एवं समर्पित करना ही होगा।

रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

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