भारत अपनी अधिकांश पेट्रोलियम जरूरतों का आयात करता है। हाल ही में उसने रूस से डिस्काउंट रेट पर बड़ी मात्रा में कच्चा तेल खरीदा, लेकिन इसका फायदा आम आदमी तक शायद ही पहुंच पाया हो वहीं, भारत के आयात में इराक, ईरान और सऊदी अरब की भी बड़ी हिस्सेदारी है।
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इस बीच कच्चे तेल की गिरती कीमतों से परेशान सऊदी अरब ने कच्चे तेल का उत्पादन कम करने का बड़ा फैसला लिया है, तो क्या इसका असर भारत में पेट्रोल-डीजल पर पड़ेगा?सऊदी अरब अपने तेल उत्पादन में प्रति दिन 10 बैरल की कटौती कर सकता है। अक्टूबर में यह लगातार तीसरा महीना होगा, जब सऊदी अरब अपने कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती करेगा. इसकी वजह बाजार में कच्चे तेल की आपूर्ति को लेकर अनिश्चितता है.
OPEC+ देशों में बनी सहमति
जून में कच्चे तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक प्लस की बैठक हुई थी. इसमें कच्चे तेल की गिरती कीमतों को लेकर चिंता जताई गई. सभी देशों के बीच 2024 के अंत तक इसकी सप्लाई कम करने पर सहमति बनी है, ताकि कच्चे तेल की गिरती कीमतों पर काबू पाया जा सके. रूस भी इससे सहमत है. वहीं, सऊदी अरब ने अलग से अपना उत्पादन और कम करने का ऐलान किया है. इसीलिए इसका तेल उत्पादन अब घटकर 90 लाख बैरल प्रतिदिन के स्तर पर आ गया है, जो कई सालों का सबसे निचला स्तर है.
वहीं, रूस ने भी सितंबर में कच्चे तेल का उत्पादन 3 लाख बैरल प्रतिदिन कम करने की बात कही है. दुनिया के दो सबसे बड़े तेल उत्पादक देशों सऊदी अरब और रूस के लगातार उत्पादन कटौती का असर भी दिख रहा है। जुलाई में ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत जून के मुकाबले 14 फीसदी बढ़ गई थी. जनवरी 2022 के बाद कीमतों में यह सबसे बड़ा उछाल था.
क्या भारत में पेट्रोलियम की कीमतों पर पड़ेगा असर?
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा पेट्रोलियम आयातक है। इसलिए कच्चे तेल की कीमत का असर उसके आयात बिल पर पड़ता है. हालाँकि भारत की आयात टोकरी में कई देश हैं और यह किसी एक देश पर निर्भर नहीं है। इसलिए कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी या कमी के बावजूद घरेलू बाजार में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर नियंत्रण रखना भारत के लिए आसान है। हालांकि, कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमत बढ़ने की आशंका है.
वहीं कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि 2023 और 2024 देश में चुनावी साल हैं. इसलिए सरकार इनकी कीमतों को नियंत्रण में रखने की कोशिश कर सकती है. इसके लिए सरकार पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती कर सकती है. भारत में पिछले एक साल से अधिक समय से पेट्रोल और डीजल की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं।